दिल्ली की केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच पावर को लेकर फिर छिड़ी बहस के बीच दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाएं ले रहे 20000 अतिथि शिक्षकों के नियमित होनी की उम्मीद को एक बार फिर झटका लग सकता है.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 20 हजार अतिथि शिक्षक खुद को रेगुलर करने की आस लिए कब से इंतजार में है पर उनका ये इंतजार शायद अभी और लंबा रह सकता है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार 2015 में स्कूलों में अतिथि शिक्षक को रेगलुर करने के वादे के साथ सत्ता में आई थी पर बार – बार सरकार द्वारा प्रयास किए जाने के बाद भी 2015 से लेकर अब तक दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच बात नहीं बनी और मामला अभी तक वहीं का वहीं है.

दिल्ली के अतिथि शिक्षकों को रेगलुर करने के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच बात न बन पाने के कारण अतिथि शिक्षक काफी नाराज भी है.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षक काफी लंब समय से पढ़ा रहे है पर उन्हें अभी तक नियमित होने का वादा ही मिल पाया है. ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच इस मुद्दे पर बात न बन पाने के कारण ही अतिथि शिक्षकों के नियमित होने की बात अटकी पड़ी है बल्कि इसके लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार है.
अब केंद्र द्वारा संसद में लाए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक को लेकर एक बार फिर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच राजनीतिक जंग छिड़ गई है. जानकार मानते है कि इससे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाएं ले रहे अतिथि शिक्षकों के उम्मीद पर असर पड़ सकता है.