राजस्थान के जोधपुर में ईद के मौके पर दो संप्रदायों में हुई हिंसा शर्मनाक हैं. ये कौन लोग हैं जो इस तरह का कार्य कर रहे हैं ? आखिर कैसे इन उपद्रवियों का हौसला हिंसा फैलाने को इतना बढ़ गया है ? देश में एक के बाद एक हो रहे इस तरह के मामले कई तरह के सवाल पैदा कर रहे है, जिसका जवाब हमें खुद ही ढ़ूंढ़ना होगा. जोधपुर में जो हुआ उससे एक बात तो साफ है कि कुछ लोगों को शांति पसंद नहीं है. वे क्या चाहते हैं ये आसानी से समझा जा सकता है. जोधपुर, दिल्ली के जहांगीरपुरी और मध्यप्रदेश के खऱगौन और अनेकों ऐसे मामलों को रोकने का केवल एक ही तरीका है और वो है आपसी भाईचारा और एकदूसरे की आस्था का सम्मान. इस बात को हमे समझना ही होगा. हमे समझना होगा की ये देश सभी का है.
जोधपुर में जो हुआ उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. जरा सोचिए, एक ही दिन ईद और अक्षय तृतीया का पर्व और ऐसे में जोधपुर में दो संप्रदायों का आपस में भीड़ जाना, आखिर हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे है. भारत की छवि धर्मनिरपेक्ष की है और इसे बनाए रखना जरूरी है. हम सब भाई – भाई है, अगर इस बात को न समझा गया तो ऐसे मामलों को रोकना मुश्किल है. बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक और अल्पसंख्यक को बहुसंख्यक की आस्था का ध्यान रखना होगा, ताकि समाज में सौहार्द और प्यार बना रहे. जोधपुर में ईद के मौके पर जो हुआ उसकी जितनी आलोचना की जाए उतनी कम है. ये नहीं होना चाहिए था.