तीन कृषि कानून के विरोध में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अब तीन महीने का हो चुका है. दिल्ली तमाम बार्डरों पर किसान अपनी मांग को लेकर डटे हुए है पर 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली के नाम पर लाल किले में हुए उपद्रव के बाद किसानों की संख्या में चाहे वो दिल्ली का सिंघु बार्डर हो या गाजीपुर बार्डर कमी आई है. इसी बीच कृषि कानून का विरोध कर रही उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा ने यूपी में किसान आंदोलन को जारी रखने हेतु और इसेक अगले स्वरूप को लेकर आगे की रणनीति तैयार की है.
राजधानी दिल्ली के प्रेस कल्ब ऑप इंडिया में उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्च ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया और आंदोलन को जारी रखने तथा कृषि कानून को लेकर मीडिया से बातचीत की. दरअसल, उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा ने यूपी के 47 जिलों में अनश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर जाने का फैसला लिया है. उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा ने तया किया है कि
1. कृषि कानून के विरोध में यूपी के हरेक गांव में 5 किसान अनिश्चितकालीन अनसन करेगें और इसका समय सुबह के 9 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक होगा. इसका मकसद पीएम मोदी तक किसानों की आवाज पहुंचाना है ताकि पीएम ये न कह सके कि ये आंदोलन किसानों का नहीं है.
2. इसके अलावा किसानों ने तय किया है कि यूपी के प्रत्येक गांव से हरेक घर से एक मुट्ठी अनाज लिया जाएगा ताकि इससे भंडारा किया जा सके और जाति बिरादरी को त्यागकर किसान आंदोलन को मजबूत करने में सब मिलकर सहयोग दे सके
उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्च का कहना है कि गाजीपुर बार्डर पर उत्तराखण्ड और यूपी के किसान डटे है. मोर्च का मानना है कि गाजीपुर बार्डर पर जो 90 प्रतिशत किसान है वो गन्ना किसान है और उन्हें कृषि कानून से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योकि गन्ना के अपना कानून है. उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा केंद्र की मोदी सरकार के साथ ही यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ भी अनशन करेगी क्योक सरकार ने 4 साल मे गन्ना के मूल्य में मात्र 10 रूपये का इजाफा किया है. मोर्चा को उम्मीद है कि नई रणनीति से किसान आंदोलन जैस – जैसे बड़ा रूप धारण करेगा सरकार उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा के किसानों को भी बुलाकर उपयुक्त मुद्दों का निराकरण करेगी.