यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट यानी यूएनसीटीएडी ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान लगाया है। इस संस्था द्वारा लगाए गए अनुमान की चर्चा जोरों पर है। दरअसल यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान लगाया है वह भारत के सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान पर सवाल खड़े कर रहा है। यूएनसीटीएडी के रिपोर्ट के मुताबिक इस साल भारत की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी ग्रोथ गिरकर 5.7 फ़ीसदी पर आ सकती है जो कि साल 2021 में 8.1 फ़ीसदी पर थी। यूएनसीटीएडी ने इसके पीछे का कारण ऊंची वित्तपषण और और कमजोर सामाजिक खर्च को बताया है।
साथ ही इस संस्था ने साल 2023 तक भारत के जीडीपी ग्रोथ के 4.7 फ़ीसदी तक आ जाने की भविष्यवाणी की है। बात अगर जी-20 देशों में भारत के जीडीपी की करें तो साल 2021 में भारत की जीडीपी 8.2 फ़ीसदी की दर से विकास दिखा पाई जो जी-20 देशों में सबसे ज्यादा मजबूत रही। हालांकि इस संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक जैसे-जैसे सप्लाई सेल में व्यवधान कम हुआ बढ़ती घरेलू मांगू ने चालू खाते के सर प्लस को घाटे में बदल दिया और यहां विकास दर में गिरावट देखी जा रही है।
यूएनसीटीएडी द्वारा लगाए गए अनुमान पर देश में अर्थशास्त्रियों ने भी अपनी राय दी हैं। वे अपनी अपनी राय रख रहे हैं। कुछ का कहना है कि यह रिपोर्ट सच भी साबित हो सकती है तो वहीं कई इस कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह अनुमान मात्र है समय के साथ कई चीजें बदलेंगी और आंकड़े भी बदलेंगे।
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