केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में भारत के नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम
ऑफ बैंकिंग यूनियन द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का ऐलान किया है।
बैंक कर्मचारी संगठनों के इस
हड़ताल से सोमवार और मंगलवार को देशभर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित रहेंगी। इस देशव्यापी हड़ताल के वजह से
जमा, निकासी, चेक क्लीयरेंस के अलावा ऋण स्वीकृति जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने एक बयान में यह दावा किया गया है कि सभी बैंकों के लगभग 10 लाख से
अधिक कर्मचारी और अधिकारी इस हड़ताल में भाग लेंगे। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अलावा कई सरकारी
बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले ही यह सूचना दे दिया है कि यदि हड़ताल होगी, तो उनका सामान्य कामकाज बैंक के
शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है।
बैंकों द्वारा यह भी बताया गया कि वे बैंक शाखाओं और कार्यालयों
के सुचारु संचालन हेतु आवश्यक कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए गए
केंद्रीय बजट में सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण
की घोषणा की गई थी।
आपको बता दें कि अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि 4, 9
और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ बैठकें हुई जो बेनतीजा रही अत: हड़ताल होगी।
यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक
इम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स
एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक इम्प्लॉइज कंफेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईसीआई) आदि शामिल हैं। इंडियन
नेशनल बैंक आफीसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), इंडियन नेशल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), नेशनल
आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशन आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफीसर्स (एनओबीओ) भी
हड़ताल की अपील में शामिल हैं।