देश भर में कोरोना ने अपने पैर पसारे हुए है चारों तरफ मौत का तांडव मचा हुआ है लोग अस्पतालो के बाहर सड़को पर दम तोड़ रहे है। सरकार लाचार तो अस्पताल भी बेबस सा नजर आ रहा है। इन सब के बीच कोरोना के एक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे एक याचिका दायर की गई है। जिसमें दावा किया गया है कि, देश में जारी कोरोना टीकाकरण अभियान में 32 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। यह याचिका किसी सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि एक अधिवक्ता की तरफ से दायर की गई है। अधिवक्ता दीपक आनंद मसीह ने याचिका दायर करते हुए कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।
अधिवक्ता दीपक आनंद मसीह ने दायर याचिका में तर्क देते हुए कहा है कि, पश्चिमी देशों में कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली गई, लेकिन उनकी लागत और कीमत 150-200 रुपए से अधिक नहीं है। वहीं देश में यही वैक्सीन आम लोगों को 600 रुपए तक में मिल रही है। अब जब 18 साल से ज्यादा आयु के लोगों को वैक्सीन लगने वाली है तो, कीमत भी बढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक, अभी 80 करोड़ लोगों को टीके की खुराक लेनी है। ऐसे में टीके का कीमत की हिसाब लगाया जाए तो एक बहुत बड़ी संख्या सामने आती है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने कहा कि, पीएम मोदी ने नेशनल साइंटिफिक फोर्स तो बना दी लेकिन फरवरी-मार्च में उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव जारी थे। याचिका में अधिवक्ता दीपक आनंद मसीह ने कोर्ट से अपील की है कि, सरकार को सही नीतियां बनाकर उन पर अमल करने का आदेश दिया जाए। उनका दावा है कि, समस्या संसाधनों से ज्यादा सरकारी नीतियों की रही है। गौरतलब है कि, एक मई से देश में वैक्सीनेशन अभियान का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा और इसके तहत 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी।