उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी घटनाक्रम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानो को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि, जब हमने कृषि कानून पर रोक लगाई है तो फिर सड़को प्रदर्शन क्यों हो रहा हैं। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “जब इस बात का आश्वासन मिला है अभी ये कानून लागू नहीं होगा तो किसान क्यों विरोध कर रहे हैं, किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं?”
अदालत ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती दी है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जंतर मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। दिल्ली के किसानों आंदोलन से जुड़े ‘किसान महापंचायत’ नाम के संगठन द्वारा ये याचिका दायर की गयी थी।
इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि आप ट्रेनें रोक रहे हैं, हाइवे बंद कर रहे हैं। क्या शहरी लोग अपना बिजनेस बंद कर दें। क्या ये लोग शहर में आपके धरने से खुश होंगे? आप दिल्ली का गला घोंटना चाहते हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत से सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है तो फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?
इस पर किसान महापंचायत की तरफ से कहा गया कि उसने कहीं भी सड़क बंद नहीं की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब मामले को लेकर कोई एक पक्ष कोर्ट तक पहुंच गया तो इसके बाद प्रदर्शन करने का क्या मतलब? अदालत ने पूछा कि जब तीनों कानून की वैधता को आपने चुनौती दी है तो फिर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने का क्या तुक है? इस पर किसान महापंचायत की तरफ से कहा गया कि सरकार ने एक कानून को लागू कर दिया है।
इस पर सुनवाई कर रही बेंच ने तल्ख़ लहजे में कहा कि तो आप कानून के पास जाइए। आप दोनों एक साथ नही कर सकते कि आप कानून को चुनौती भी देंगे और प्रदर्शन भी करेंगे। आप अदालत आइये या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। बता दें अब इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने ‘किसान महापंचायत’ नाम के संगठन से हलफनामा पेश करने के लिए कहा है कि वे घोषित करें कि वे राजधानी के बॉर्डर्स पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं।