वैज्ञानिकों ने दालचीनी और बेरी के उपयोग से एक दवा विकसित की है। जिसका उपयोग सिस्टाइटिस नाम की बीमारी से लड़ने के लिए किया जाएगा। फिलहाल इसका पेरिस में ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है की, नई दवा से संक्रमण के लिए जिम्मेदार ई-कोली और दूसरे बैक्टीरिया को इंफेक्शन फैलाने से रोका जा सकेगा। मालूम हो कि मूत्राशय (ब्लैडर) में सूजन और जलन को ही सिस्टाइटिस कहते हैं।
ज्यादातर मामलों में इसकी वजह बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। यह संक्रमण जब ब्लैडर से किडनी तक पहुंच जाता है तो हालत और गंभीर हो जाती है।आमतौर पर इसका इलाज एंटीबायोटिक्स दवाओं से किया जाता है। शुरुआती दौर के क्लीनिकल ट्रायल में यह दवा असरदार साबित हुई है। इसके बाद नई दवा का ह्यूमन ट्रायल पेरिस के अल्फ्रेड फोर्नियर इंस्टीट्यूट में 18 से 65 साल की 80 महिलाओं पर चल रहा है।
ये ऐसी महिलाएं हैं जो पिछले 6 महीने में कम से कम दो बार सिस्टाइटिस से जूझ चुकी हैं। ट्रायल में शामिल महिलाओं को दिन में दो बार एक-एक गोली दी जा रही है। करीब 6 महीने तक ट्रायल में दवा लेने वाली और न लेने वाली महिलाओं के समूहों की तुलना की जाएगी। इसके बाद रिजल्ट जारी किए जाएंगे।