वैज्ञानिको का दावा है की हिमालय में पाई जाने वाली फफूंद से कैंसर का इलाज संभव है। इसमें कैंसर से लड़ने और कैंसर वाली कोशिकाओं को रोकने की क्षमता है। हिमालय में पाई जाने वाली इस फफूंदी को वैज्ञानिक भाषा में कॉर्डिसेप्स साइनेसिस कहते हैं। इसका इस्तेमाल सैकड़ों सालों से चीनी औषधि तैयार करने में किया जाता है। इसे कैटरपिलर फंगस भी कहते हैं। यह खासतौर पर हिमालय के नेपाल और भूटान वाले हिस्से में पाई जाती है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और बायोफार्मा कंपनी न्यूकाना की जॉइंट रिसर्च में यह बात साबित हो गई है की हिमालय में पाई जाने वाली इस फफूंदी से केंसर का इलाज किया जा सकेगा। दरअसल, इस फफूंद से ही वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा विकसित की है जिसका इस्तेमाल कीमोथैरेपी ड्रग के तौर पर किया जाएगा। ड्रग का नाम NUC-7738 रखा गया है। रिसर्च के दौरान पाया गया है कि एंटी-कैंसर ड्रग है यानी इसमें कैंसर को हराने की क्षमता है।
यह कैंसर कोशिकाओं को रोकने में मदद करता है और 40 फीसदी तक असरदार है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, फफूंद में पाया जाना वाला केमिकल कॉर्डिसेप्सिन शरीर में पहुंचकर ब्लड में घुलने लगता है। यह ADA नाम के एंजाइम की मदद से टूट जाता है। इसके बाद यह कैंसर वाली कोशिकाओं तक पहुंचकर अपना असर दिखाता है।
शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल में यह बात साबित भी हो चुकी है। क्लीनिकल कैंसर रिसर्च जर्नल में पब्लिश स्टडी कहती है, फार्मा कंपनी न्यूकाना इस ड्रग का इस्तेमाल NUC-7738 नाम से कर रही है। क्लीनिकल ट्रायल फेज-1 के नतीजे असरदार रहे हैं। क्लीनिकल ट्रायल के फेज-2 की तैयारी की जा रही है। जल्द ही बड़े स्तर पर इसके अगले चरण का ट्रायल किया जाएगा।