रूस के वैज्ञानिकों ने देश की पहली ‘क्लोनिंग काउ’ बनाकर तैयार की है। इसके तहत वैज्ञानिकों ने दूध से होने वाली एलर्जी को रोकने के लिए गाय के जीन्स से वो प्रोटीन हटाया जो इसे पचाने में दिक्कत करता है। दरअसल दुनियाभर में 70 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्हें दूध से किसी न किसी तरह की एलर्जी है। इसी को कंट्रोल करने के लिए यह प्रयोग किया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है, एलर्जी का खतरा घटाने के लिए इसके जीन से उस प्रोटीन को हटा दिया गया है जो इंसानों में लैक्टोज इंटॉलरेंस यानी दूध से होने वाली एलर्जी की वजह बनता है। उस जीन के कारण इंसान में दूध पच नहीं पाता।
रशिया के वैज्ञानिकों ने जिस गाय के साथ यह प्रयोग किया गया है, उसका जन्म अप्रैल, 2020 में हुआ था। गाय का वजन करीब 63 किलो का बताया जा रहा है। गाय के क्लोन को तैयार करने के लिए इसके भ्रूण के जीन में मनमुताबिक बदलाव किया गया। फिर इस भ्रूण को गाय के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इस प्रयोग में शामिल अर्नेस्ट साइंस सेंटर फॉर एनिमल हस्बैंड्री की शोधकर्ता गेलिना सिंगिना कहती है, क्लोनिंग काउ ने मई से रोजाना दूध देना शुरू कर दिया है। इसे अभी पूरी तरह से तैयार होना बाकी है। हालांकि, इसमें बदलाव तेजी से दिख रहे हैं। इससे पहले न्यूजीलैंड में क्लोनिंग काउ तैयार की जा चुकी हैं। वैज्ञानिकों ने गायों के जीन ने ऐसा बदलाव किया था कि इनके शरीर का रंग हल्का पड़ जाए। रंग हल्का होनेे के कारण सूरज की किरणें परावर्तित हो जाती हैं और इन्हें गर्मी से बचाती हैं।
शोधकर्ता कहते हैं, अभी एक गाय की क्लोनिंग की गई है क्योंकि टेस्ट की शुरुआत हुई है। भविष्य में ऐसी दर्जनों गाय तैयार की जा सकती हैं। हमारा लक्ष्य गायों की ऐसी नस्ल को तैयार करना है जिसके दूध से एलर्जी न हो सके। हालांकि, यह आसान प्रक्रिया नहीं है।