राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की चने की दो नई किस्में, सात साल के अथक प्रयासों के बाद मिली सफलता

राजस्थान में चने की दो नई किस्में विकसित की गई है यह राजस्थान के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है जिसे पिछले सात सालों से प्रयास किया जा रहा था । यह नयी किस्में किसानों को चने में शुष्क जड़ गलन रोग से निजात दिलाकर बड़ी राहत देंगी और अगले आने वाले दो सालो में वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध रहेंगी।

बता दें कि यह चने की नई किस्म आराधना (सीएसजेके 54) तथा करण चना 1 (आरएसजी 959) राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान (रारी) द्वारा विकसित की गई है। संस्थान के निदेशक के मुताबिक, लगभग सात साल के अथक प्रयासों के बाद चने की इन किस्मों को मंजूरी के लिये भारतीय अधिसूचना प्राधिकार के पास भेजा गया है। प्राधिकार की मंजूरी के बाद ही कोई किस्म वाणिज्यिक रूप से बाजार में उपलब्ध होती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2020 तक ये दोनों किस्में खेती के लिये उपलब्ध होंगी।

संस्थान के निदेशक तथा प्रमुख चना वैज्ञानिक एस जे सिंह ने बताया कि, ये किस्में कई मौजूदा रोगों के लिये प्रतिरोधक क्षमता रखती है जिनमें उखटा व शुष्क जड़ गलन रोग प्रमुख है। इन दोनों रोगों के कारण इस समय चने की फसल को काफी नुकसान हो रहा है। आरएसजी 959 किस्म देश में चने की अपनी तरह की पहली किस्म है जिसमें इन दोनों रोगों की प्रतिरोधक क्षमता है। यह किस्म किसानों के लिए बड़ी राहत बन सकती है। इसी तरह सीएसजेके 54 किस्म किसी भी तरह की जलवायु परिस्थिति में उपज दे सकती है। उन्होंने कहा कि नई किस्मों की उत्पादकता भी पूर्ववर्ती किस्मों से बेहतर होगी।

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