इथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। इस फ्यूल को गन्ने से तैयार किया जाता है। इथेनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए सुरक्षित है। इथेनॉल को गन्ने, मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है। केंद्र सरकार इसे चावल और मक्के से भी बनाने की तैयारी कर रही है। इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमतें 6 साल के उच्चतम स्तर 2 डॉलर प्रति गैलन के स्तर पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार देश में इथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सस्ती दरों पर लोन दे रही है।
बीते कुछ महीने में कई इथेनॉल प्लांट को मंजूरी मिली है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे घरेलू शुगर इंडस्ट्री के हालात बेहतर होंगे। किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान जल्दी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इथेनॉल के दाम 6 साल के शिखर पर पहुंच गए है। इन खबरों के बाद चीनी बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में जोरदार तेजी आई है। इससे चीनी मिलों को कमाई का एक नया जरिया मिलेगा जिससे वो अपने कृषि बकाए को चुका सकेंगे। साथ ही इथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
इथेनॉल मक्के, गन्ना, जूट, आलू जैसे कृषि उत्पादों के जैवभार से निर्मित एक जैव ईंधन है। इससे पेट्रोल में आक्टेन वैल्यू 2.5 प्रतिशत तथा ऑक्सीजन की क्षमता 3 प्रतिशत बढ़ जाती है। पेट्रोल इंजन में 100 प्रतिशत जलता है तथा निकलने वाला धुआं भी कम प्रदूषण करता है। जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने इथेनॉल (Ethanol) को Standalone Fuel के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है और अब तेल कंपनियों को सीधे E-100 बेचने की अनुमति मिल गई है। माना जा रहा है कि अब इथेनॉल फ्यूल पर आधारित नए व्हीकल लॉन्च होंगे। सरकार इसका प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए नए पॉलिसी लाई है।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार इथेनॉल प्लांट लगाने वाली कंपनियों को सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध करानी की योजना बना रही है। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ महीनों में 418 इथेनॉल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। मौजूदा समय में सरकार ने 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था।
