ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) के नेतृत्वकर्त्ता असदुद्दीन ओवैसी जो हमेशा अपनी मजहबी बोली और अपनी कट्टरता के लिए जाने जाते है उन्होने एक बार फिर सियासत को मजहब का रंग देने की कोशिश की है। पार्टी के नेता असीम वकार ने कहा है कि सभी राज्यों में उपमुख्यमंत्री का पद पूरी तरह से मुस्लिमों के लिए आरक्षित होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा की, सभी पार्टियाँ मुसलमानों से वोट तो माँगती है, लेकिन जब उसके बदले डिप्टी सीएम पद की माँग की जाती है तो उन्हें समस्या होने लगती है। वसीम वाकर ने अपने इस सांप्रदायिक बयान के लिए कांग्रेस, सपा और बसपा से सुझाव मांगे है। जिस पर तमाम पार्टियों ने अपनी अपनी बात सामने आकर रखी है।
कांग्रेस, सपा, और आप ने जताई असहमति
कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी ने वकार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि असदुद्दीन ओवैसी को पता होना चाहिए कि इस तरह के सांप्रदायिक बयानों से बीजेपी को फायदा होता है। अल्वी ने कहा, “यदि आप वास्तव में मुस्लिम समुदाय के शुभचिंतक हैं, तो कृपया खुद को यूपी की राजनीति से दूर रखें। ”वहीं सपा ने जाति कार्ड खेलते हुए कहा, अगर किसी में अपने समुदाय का नेतृत्व करने की क्षमता है, तो वह अल्पसंख्यक या दलित समुदाय से हो, उसे नेतृत्व करने का मौका दिया जाना चाहिए।
इन सब के बीच आप पार्टी के प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा, कि चुनी हुई सरकार को उनके मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, उन्हें शिक्षित करना चाहिए, गरीबी और बेरोजगारी को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा, “सिर्फ डिप्टी सीएम की बात कर, अगर आप पूरे समुदाय के प्रतिनिधि बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो आप उन्हें बेवकूफ बना रहे हैं।”
बता दें की वकार का यह बयान राजभर द्वारा पावर-शेयरिंग फॉर्मूले के बाद आया है। जिसमे हर साल अलग-अलग समुदाय से मुख्यमंत्री (CM) होने की बात कही गई है। जिससे की गठबंधन के सभी भागीदारों के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो पाएगा। उन्होंने कहा, “अगर हम 2022 में सरकार बनाते हैं, तो हम स्पष्ट हैं कि पाँच साल में पाँच मुख्यमंत्री होंगे। एक मुस्लिम, एक राजभर, एक चौहान, एक कुशवाहा और एक पटेल होगा। हमारे पास एक साल में चार डिप्टी सीएम और पाँच साल में 20 होंगे।”