अब देश के सिर्फ इन राज्यों में ही की जा सकती है बासमती चावल की खेती, बाकी प्रदेशों में बासमती चावल की खेती अवैध हुई

अब देश के सिर्फ 7 राज्य और 95 जिलों में ही की जा सकती है बासमती चावल की खेती, बाकी अन्य जिलों के लोग खाने के लिए बासमती उगा तो सकते हैं लेकिन न तो उसे बासमती कह सकते है और ना ही उसका व्यापार कर सकते है। ऐसा इस चावल की विशिष्टता को संरक्षण देने के लिए तय किया है। 
दरअसल, देश के 7 राज्यों और 95 जिलों में होने वाली बासमती चावल की खेती को जीआई टैग (Geographical Indication) मिला हुआ है। जो चीजें एक खास मौसम, पर्यावरण या मिट्टी में पैदा होती हैं उनके लिए जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दिया जाता है। जीआई एक तरह से पेटेंट की तरह एक बौद्धिक संपदा का अधिकार है।
इनमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश के 30 और जम्मू-कश्मीर के तीन जिले (जम्मू, कठुआ और सांबा) शामिल हैं। यह क्षेत्र बासमती चावल का उत्पादन और बिक्री दोनों कर सकते हैं।
क्या है जीआई टैग (Geographical Indication) 
जियोग्राफिकल इंडीकेशन (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे प्रोडक्ट के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है।जो चीजें एक खास मौसम, पर्यावरण या मिट्टी में पैदा होती हैं उनके लिए जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दिया जाता है। जीआई एक तरह से पेटेंट की तरह एक बौद्धिक संपदा का अधिकार है।
जीआई टैग से किसी खास प्रोडक्‍ट के साथ क्‍वालिटी अपने आप जुड़ जाती है। किसानों को इससे फसल के अच्‍छे दाम मिलते हैं। जीआई इन 95 जिलों के आर्थिक और उपभोक्ता के गुणवत्ता (Quality) हितों को साधता है। यह टैग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के सुगंधित बासमती चावल की विशिष्ट पहचान बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा अन्य कहीं भी ट्रेड के लिए इसकी खेती करने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकती है।

देश के इन राज्यों को मिला है बासमती का जीआई टैग (Geographical Indication) 

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश के 30 और जम्मू-कश्मीर के तीनों जिले (जम्मू, कठुआ और सांबा) को बासमती चावल का उत्पादन और बिक्री करने का अधिकार है।

उत्तर प्रदेश में बासमती के जीआई वाले जिले
पश्चिमी यूपी के बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलंदशहर, बिजनौर, संभल, अमरोहा, अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, बदायूं, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर में इसकी खेती वैध है।

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