सीएसआईआर-सीडीआरआई ने दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए एक नई सुरक्षित दवा (एस-007-867) विकसित करने के लिए मार्क लेबोरेटरीज लिमिटेड को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की
सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ ने उत्तर प्रदेश में फार्मा क्लस्टर के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए यूपी स्थित मार्क लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार किया है। मार्क लेबोरेटरीज लिमिटेड,उत्तर प्रदेश सहित भारत के 13 अन्य राज्यों में संचालित फार्म कंपनी है जिसने इससे पहले सीडीआरआई के साथ रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया के नियंत्रक (मोडुलेटर) के रूप में सिंथेटिक यौगिक एस 007-867 के विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, आज उसके निर्माण की तकनीक भी हस्तांतरित कर दी गई है।
यह यौगिक एस007-867,कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों के इलाज में विशेष रूप से कोलेजन प्रेरित प्लेटलेटएकत्रीकरण के अवरोधक के रूप मेंबेहद कारगर है।
संस्थान ने हाल ही में दवा के लिए प्रथम चरण के नैदानिक परीक्षण शुरू करने की अनुमति प्राप्त की है।
धमनी घनास्त्रता (आर्टेरीयल थ्रोंबोसिस) एक तीव्र जटिलता है जो एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों की अवरुद्धता)की वजह से बने पुराने घावों पर विकसित होती है जिसकी वजह से दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है। प्रयोगों के माध्यम से पता चला है की प्लेटलेट-कोलेजन इंटरैक्शन के संदमन (इन्हीबिशन) को आर्टेरीयल थ्रोम्बोसिस के इलाज हेतु एक आशाजनक चिकित्सीय रणनीति के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
नवीन औषधीय यौगिक एस 007-867, कोलेजन मध्यस्थ प्लेटलेट सक्रियण को संदमित करता है और बाद में COX1 सक्रियण के माध्यम से सघन कणिकाओं और थ्रोम्बोक्सेन A2 से एटीपी की रिहाई को कम करता है। इस प्रकार यह धमनियों में रक्त प्रवाहके वेग को प्रभावी रूप से बनाए रखता है और धमनी की अवरुद्धता होने में (मुख्यतः थक्काजमने की वजह से रक्त वाहिका की रुकावटमें) देरी करता है और हेमोस्टेसिस से समझौता किए बिना थ्रोम्बोजेनेसिस (रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया) को रोकता है।
कोरोनरी और सेरेब्रल धमनी रोगों के लिए वर्तमान में मौजूद अन्य उपचारों की तुलना में इस दवा में रक्तस्राव का जोखिम बेहद कम है।
जंतुओं पर किए प्रयोगों में, इस नवीन औषधीय यौगिक ने न्यूनतम रक्तस्राव के साथ देखभाल के प्रचलित मानकों की तुलना में बेहतर एंटीथ्रॉम्बोटिक गुण प्रदर्शित किये हैं । संस्थान ने हाल ही मेंइस दवा के लिएप्रथम चरण के नैदानिक परीक्षण शुरू करने की अनुमति भी प्राप्त कर ली है।
उत्तर प्रदेश में फार्मा क्लस्टर के विकास हेतु सीएसआईआर–सीडीआरआई प्रतिबद्ध
इस अवसर पर, प्रो. तपस कुमार कुंडू, निदेशक (सीडीआरआई) ने कहा, “यह देश के प्रमुख औषधि अनुसंधान संस्थान, सीएसआईआर-सीडीआरआई के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि इस नवीन औषधीय यौगिक के संश्लेषण की प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक मार्कलेबोरेटरीज लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया है। इस से मार्क लेबोरेटरीज, सीजीएमपी शर्तों के तहत इस नवीन औषधीय यौगिक का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकेगा जिससे मरीजों पर इसकी सुरक्षा और प्रभावकारिता की जांच करने हेतु प्रथम चरणके नैदानिक परीक्षण शुरू करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें आशा है कि मानवसेवा के लिए यह यौगिक शीघ्र ही बाजार में पहुंच जाएगा।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह उद्योग-अकादमिक साझेदारी (इंडस्ट्री-अकेडेमिक पार्टनर्शिप) उत्तर प्रदेश में फार्मा क्लस्टर के विकास के लिए बहुत फायदेमंद होगी और देश में मेड इन इंडिया और स्वदेशी सस्ती दवा के निर्माण के लिए नए रास्ते खोलेगी।
इसी तरह, श्री प्रेम किशोर, प्रेसिडेंट मार्क लेबोरेटरीज ने कहा, “सीएसआईआर-सीडीआरआई के साथ मार्क लेबोरेटरीजकी साझेदारी दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगी और वे इस नवीन औषधीय यौगिक को आगे विकसित करने के लिए सभी नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे ताकि यह जल्दी से जल्दीबाजार तक पहुंच सके।”
नवीन औषधीय यौगिक एस007-867के विनिर्माण की तकनीक का प्रदर्शन डॉ. संजय बत्रा और डॉ. अनिल के.एस. ने मार्क लेबोरेटरीज की टीम कोप्लांट मैनेजर श्री अविनाश श्रीवास्तव के नेतृत्व में किया। उन्होने इस नवीन औषधीय यौगिक के निर्माण की प्रक्रिया की बारीकियों को विस्तार से समझाया।