देश भर में सरसो तेल से लेकर अन्य खाद्य सामग्री की कीमतें लगातार आसमान छू रही है तो वहीं दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और पामोलीन कांडला तेल कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। बाजार सूत्रों के मुताबिक, मार्च, अप्रैल और मई के दौरान इंपोर्ट किए जा रहे तेलों के मुकाबले सरसों तेल की मांग में इजाफा हुआ है। तो दूसरी ओर सोयबीन रिफाइंड भाव में गिरावट देखने को मिली। इंदौर के बाजार में सोयाबीन रिफाइंड के भाव में 10 रुपये प्रति 10 किलोग्राम की कमी हुई।
व्यापारियों के पास सरसों की किल्लत
जानकारों का मानना है कि सरसों से रिफाइंड बनाए जाने के कारण भी सरसों की कमी हुई। उनका कहना है की सरकार को सरसों से रिफाइंड बनाने पर रोक लगानी चाहिए। वरना सरसों की कमी हो सकती है। उनके मुताबिक, देश में सरसों की दैनिक खपत साढ़े तीन से चार लाख बोरी की है लेकिन ‘ऑफसीजन’ खत्म होने के बाद आगे जाकर इसकी मांग काफी बढ़ेगी। व्यापारियों के पास सरसों नहीं है और तेल मिलों के पास सीमित मात्रा में सरसों उपलब्ध है।
विशेषज्ञों के अक्टूबर नवंबर के महीने में सरसों की बिजाई होगी और सरकार को दो तीन महीने पहले से ही सरसों बीज का इंतजाम रखना होगा, क्योंकि डर यह है कि बिजाई के ऐन मौके पर छोटे किसानों को सरसों बीज के लिए सरसों की किल्लत न हो। सरसों की जो मांग 10-15 दिनों में बरसात के दिनों में बढ़ती है। सरसों की मंडियों में आवक कम है और इस किल्लत की वजह से राजस्थान और उ.प्र. में सरसों मिलने बंद हो गया है।
बता दें की खाद्य नियामक FSSAI ने आठ जून से सरसों में किसी अन्य तेल की मिलावट पर रोक लगा दिया है। इसकी वजह उपभोक्ताओं में शुद्ध सरसों मिल रहा है और मांग में भी तेजी देखने को मिल रही है। बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 150 रुपये का लाभ दर्शाता 7,275-7,325 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गयासरसों दादरी तेल का भाव भी 150 रुपये बढ़कर 14250 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया।