वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए CSIR और NCSM के बीच समझौता ज्ञापन, विज्ञान संग्रहालय की होगी स्थापना

नई दिल्ली, 30 सितंबर (विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी मंत्रालय): केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सरकार लोगों, खासकर बच्चों और युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए, देश भर में विज्ञान संग्रहालय स्थापित करेगी।

कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डोनेर)मंत्री श्री जी किशन रेड्डी भी उपस्थिति थे। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में आम लोगों के बीच वैज्ञानिक जिज्ञासा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए चुनिंदा सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में विज्ञान संग्रहालय स्थापित करना है। डॉ.जितेंद्र सिंह ने 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक सोच अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हालिया महामारी ने विज्ञान और वैज्ञानिक सोच के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया है।

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की 76वीं महासभा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हालिया भाषण का उल्लेख करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि विज्ञान आधारित, तर्कसंगत एवं प्रगतिशील सोच विकास का आधार होनी चाहिए और विज्ञान आधारित दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए भारत अनुभव आधारित शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने इस भाषण में दुनिया के सामने मौजूद प्रतिगामी सोच और आतंकवाद के खतरे की ओर इशारा किया था।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज का समझौता ज्ञापन इस दिशा में उठाया गया एक कदम है और यह विज्ञान संचार एवं प्रसार के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है क्योंकि यह एक सही समय पर हो रहा है जब देश भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा, 2020 में सीएसआईआर सोसाइटी की बैठक में प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप,

स्कूली छात्रों के लिए आईआईटी-बंबई के साथ साझेदारी में वर्चुअल लैब स्थापित करने से जुड़ीसीएसआईआर की नई पहल काफी सराहनीय है। उन्होंने पिछले आठ दशकों में सीएसआईआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और अविष्कारों को प्रदर्शित करने के लिए राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के भीतर एक संग्रहालय स्थापित करने से जुड़े सीएसआईआर और एनसीएसएम के कदम का भी स्वागत किया।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल नरेन्‍द्र मोदी जी के विजन के अनुरूप भी है, जो चाहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी देश के कोने-कोने तक पहुंचे और हमें, लोगों तक इसे पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संग्रहालय जड़वत नहीं होने चाहिए बल्कि गतिशील एवं आकर्षक होने चाहिए और नवाचार को जांचने के स्थल के तौर पर उभरने चाहिए तथा हमें छात्रों एवं युवाओं में मौजूद जिज्ञासा और उत्साह का दोहन करना चाहिए।

डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां सीएसआईआर ने केंद्रीय विद्यालयों एवं नवोदय विद्यालयों, और नीति आयोग के अटल टिंकरिंग लैब स्कूलों के साथ करार किया है, वहीं इसे दूरस्थ क्षेत्रों तथा स्कूलों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा किसी एसआईआर के डिजिटल माध्यमों एवं वर्चुअल लैब और एनसीएसएम के मोबाइल साइंस म्यूजियम का उपयोग बहुत ही पूरक तथा मूल्यवान होगा।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “विश्व स्तर पर, यह माना जाता है कि विज्ञान केंद्र देश में विज्ञान की शिक्षा के पूरक और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की संस्कृति का निर्माण करने तथालोगों,विशेष रूप से युवाओं के बीच वैज्ञानिक सोच विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”उन्होंने यह भी कहा कि यह हमारे प्रधानमंत्री की भी विजन है, जिन्होंने कहा है कि छात्रों को 21 वीं सदी के कौशल के साथ आगे बढ़ना है,

जिसे उन्होंने 21 वीं सदी के ‘फाइव सी’ बताया है यानी क्रिटिकल थिंकिंग (गहनसोच), क्रियेटिविटी (रचनात्मकता), कोलैबोरेशन (सहयोग), क्यूरिऑसिटी (जिज्ञासा)और कॉम्युनिकेशन (संचार)। श्री रेड्डी ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एनसीएसएम और सीएसआईआर एवं इसकी प्रयोगशालाओं को उनके उद्देश्यों को पूरा करने तथा हमारे प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिहाज से अधिक उपयोगी तरीके से आपस में जोड़ देगा।

उन्होंने इस पहल को सफलतापूर्वक लागू करने में मंत्रालय की ओर से हर संभव मदद और सहायता का आश्वासन भी दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत सरकार में ऐसे अन्य विभागों के बीच तालमेल और सहयोग की भी आवश्यकता है जिनका उद्देश्य भी देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

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