एक तरफ जहां कोरोना वायरस ने वर्तमान में दुनिया को परेशान कर रखा है तो वहीं इसी बीच कई तरह के वायरस भी सामने आ रहे हैं जिसने दुनिया की टेंशन और भी बढ़ा दी है। इसी बीच मंकीपॉक्स नाम की एक बीमारी चिंता का विषय बनती जा रही है।दरअसल इसके मामले कई देशों में सामने आ चुके हैं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस परसमय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो परेशानी बढ़ सकती है।
बात अगर मंकीपॉक्स की करें तो इसके मामले यूनाइटेड किंग्डम, पुर्तगाल और स्पेन में सामने आ चुके हैं। ये बीमारी मंकीपॉक्स नाम के वायरस से फैलती है। मंकीपॉक्स चेचक से काफी हद तक मिलता-जुलता है। इस बीमारी की खोज साल 1958 में की गई थी। इस बीमारी की खोज बंदरों के एक समूह से की गई थी जिसके कारण इसका नाम मंकीपॉक्स है।
1. मंकीपॉक्स के हैं दो वेरिएंट : मंकीपॉक्स के भी दो वेरिएंट है पहला कांगोस ट्रेन और दूसरा पश्चिमी अफ्रीका स्ट्रेन। इन दोनों में सबसे अधिक खतरनाक कांगोस ट्रेन है जिसमें मृत्यु दर 10 फ़ीसदी है तो वहीं पश्चिम अफ्रीकी स्क्रीन में मृत्यु की दर केवल एक फीसदी है।
2. मंकीपॉक्स के लक्षण – यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की माने तो थकान बुखार मांस पेशी में दर्द सर दर्द और कब काफी कपकापी मंकीपॉक्स के लक्षण हो सकते हैं ऐसे में अगर यह लक्षण दिखाई दें तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
3. कैसे फैलता है मंकीपॉक्स – मंकीपॉक्स खास तौर पर इंसानों में चूहों और बंदरों के द्वारा फैलता है मंकीपॉक्स फटी हुई त्वचा रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट नाक आंख या मुंह के जरिए शरीर में पहुंच सकता है।
4. ये भी हो सकता है एक कारण – दरअसल जबसे कोवीड के मामले दुनिया में कम हुए हैं, लोगों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करना कम कर दिया है। इसके अलावा विश्वभर के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों
का ये दावा किया है कि 1980 में शुरू की गई चेचक के टीके को बंद करना भी मंकीपॉक्स के फैलने का कारण हो सकता है।