वर्तमान में पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों ने देश की आम जनता को परेशान कर रखा है. लोग परेशान हैं, और लोगों को समझ नहीं आ रहा है कितना महंगा पेट्रोल और डीजल कब तक अपनी गाड़ियों में भरवा पाएंगे. देश के कई शहरों में पेट्रोल 90 के पार जा चुका है तो कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमतों ने शतक लगा दी है .
इन सब के बीच विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर लगातार ढेर घेर रहा है. इन सबके बीच केंद्र की मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंदर लाने के संकेत दिए हैं. आपको बताा दें कि वित्तत मंत्रीऔर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लानेे की और इशारा किया है.
अगर पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के उच्चच दायरे रखा जाए तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें आधी हो सकते हैं. दरअसल पेट्रोल और डीजल यानी पेट्रोलियम पदार्थ राजस्व का मुख्य स्रोत है । पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो वहीं राज्य सरकार है वैट वसूलती हैं. इसके कारण पेट्रोल की कीमत और बढ़ जाती है. इसके अलावा भी पेट्रोल डीजल के महंगा होने के कई कारण है।

देश में कई बार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठती रहती हैं. आपको बता दें कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर हाय तौबा मची है. भले ही देश में अमीर वर्ग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हो लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार और कम कमाई करने वाले लोगों पर इसका काफी असर देखने को मिल रहा है.
इसी को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब देश में ईंधन की कीमतों को कम करने के लिए राज्य सरकारों और केंद्र के बीच एक संयुक्त सहयोग का ऐलान किया है. गौरतलब है कि जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दाम पिछले कुछ दिनों में बढे हैं और इसमें लगातार बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है,
इसने लोगों को परेशान कर रखा है और अब केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को पेट्रोल और डीजल के दाम करण कम करने के बारे में सोचना होगा क्योंकि देश की जनता बढ़ते पेट्रोल और डीजल कीमतों से काफी परेशान है.