दिल्ली की सीमाओं पर तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तकरीबन 5 से 6 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। पराली जलाकर दिल्ली-एनसीआर की हवा प्रदूषित करने वाले हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान समेत इन राज्यों के किसानों को अब जेल नहीं होगी। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हितों को देखते हुए पराली जलाने पर एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी समाप्त कर दिया है।
दरअसल, कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बावजूद किसान गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर जमा हैं जिसके कारण लगातार कोरोना आंकड़ों में बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान स्थिती को देखते हुए मोदी सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं।
ज्ञात हो कि इससे पहले जब अक्टूबर 2020 में 18 सदस्यीय आयोग का गठन हुआ था तो आयोग को पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए थे। इनमें दोषी किसानों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने और पांच साल तक के लिए जेल भेजने का प्रविधान भी था। इसी के मददेनजर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन से जुड़ी अन्य मांगों के साथ किसानों की इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है।
हालांकि यूपी बॉर्डर पर मौजूद राकेश टिकैत ने अपने दिए बयान में कहा है कि तीनों कृषि कानूनों के वापस होने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनने के बाद ही आंदोलन खत्म होगा। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना की आड़ में आंदोलन को खत्म करने की साजिश रच रही है, लेकिन ऐसा होने नहीं दिया जाएगा।
बात दे की पिछले दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी दिल्ली की सीमाओं पर करीब पांच महीने से केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसानों से अपील की थी कि कोरोन वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि के कारण विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर दें। इसके साथ ही सीएम मनोहर लाल ने किसानों के स्वास्थ्य और भलाई के बारे में चिंता जताते हुए अनुरोध किया था कि देश और राज्य में मामलों की बढ़ती संख्या के कारण हमें कड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।