जया पार्वती व्रत इस बार 12 जुलाई को पड़ रहा है। यह व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। बात अगर जया पार्वती व्रत की करें तो ये व्रत 5 दिनों की कठिन पूजा विधि के साथ संपन्न होता है। यह व्रत विवाहित और अविवाहित कन्याओं द्वारा रखा जाता है। विवाहित कन्याएं जहां अपने अखंड सौभाग्यय के लिए ये व्रत रखती हैं तो वहीं अविवाहित कन्याएं सुयोग वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
इस दिन और विवाहित और अविवाहित कन्याएं बालू या फिर रेत से हाथी बना कर अगले 5 दिनों तक उस पर 5 तरह के फूल, फल व प्रसाद चढ़ात हैं। इस दौरान माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए और भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित कर उस पर कुमकुम, चंदन अरबफूल चढ़ाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
माता पार्वती और भगवान शिव को नारियल अनार तथा अन्य सामग्री विधि विधान से चढ़ाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। पूजा अर्चना करने के दौरान ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करना चाहिए। जया पार्वती व्रत का समापन किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर करें तथा यथासंभव वस्त्र और धन दान करना अति शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जया पार्वती व्रत के दौरान की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। इस व्रत की कथा सुनने से जीवन में सभी काल कष्ट दूर होते हैं एवं घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।ReplyForward