चुनाव आयोग ने इस साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों की अब घोषणा कर दी है जिसके तहत पश्चिम बंगाल में इस बार 8 चरणों में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. पर चुनाव आयोग के इस फैसले पर सीएम ममता का सवाल खड़े करना थोड़ा अजीब है.
उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा 8 चरणों में बंगाल में चुनाव संपन्न कराने के फैसले को सीधे बीजेपी से जोड़ दिया है और कहा कि ऐसा केंद्र सरकार के इशारे पर हुआ. लेकिन अगर देखा जाए तो चुनाव आयोग द्वारा 8 चरणों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने का फैसला बिल्कुल सही दिखाता है क्योकि इससे पहले के चुनावों के दौरान या चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल से हिंसा की खबरे आती रही है.

ऐसे में अगर ज्यादा फेज में चुनाव होंगे तो चुनाव के दौरान हिंसा को रोकने में मदद मिलेगी, ऐसा माना जा सकता है. चुनाव के फैसेल का सम्मान होना चाहिए क्योकि चुनाव आयोग किसी के फायदे और नुकसान को देखकर फैसले नहीं लेता है.
चुनाव आयोग ने अगर पश्चिम बंगाल में इस बार 8 चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया है तो जरूर इसके पिछे कोई कारण जरूर होगा. टीएमसी द्वारा सीधे ये कह देना की केंद के इशारे पर ही चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में इस बार 8 चरणों में चुनाव करने का फैसला लिया तार्किक नहीं लगता.
अगर कोई राजनीतिक पार्टी मजबूत स्थिती में है और लगातार अपने जीतने का दावा कर रही है तो उसे क्या फर्क पड़ता है कि चुनाव राज्य में कितने चुनाव चरण में हो रहे है. चुनाव आयोग के फैसले का सम्मान हमेशा से होता आया है पर इस तरह सीधे तौर पर आयोग के फैसले को सरकार का फैसला बताना सही नहीं.