नवनीत कुमार गुप्ता
भारत सरकार का लक्ष्य सभी घरों तक पेयजल पहुंचाने का है। पेयजल की उपलब्धता एवं वितरण के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। पेयजल संबंधी शोधों की भी महती आवश्यकता है। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास भारत में जल संकट दूर करने के लिए ‘एक्वामैप’ नामक नया अंतर-विषयी जल प्रबंधन एवं नीति केंद्र स्थापित कर रहा है।
केंद्र इनोवेटिव तकनीकों से स्केलेबल मॉडल डिजाइन कर जल संकट दूर करने के लिए स्मार्ट समाधान देगा। इस परिकल्पना के प्रमाण में ये मॉडल पूरे देश के कुछ चुने हुए स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे।
आईआईटी मद्रास के कुछ पूर्व छात्रों द्वारा इस केंद्र के लिए दो साल के लिए 3 करोड़ सीड ग्रांट देने का प्रस्ताव दिया है और वह पंचवर्षीय योजना में भी मदद करेंगे।
समाज कल्याण के प्रोजेक्ट का पुरजोर समर्थन करने के लिए पूर्व छात्रों को धन्यवाद देते हुए प्रोफेसर महेश पंचगनुला, डीन (पूर्व छात्र और कॉर्पाेरेट संबंध), आईआईटी मद्रास ने कहा, “मैं संस्थान के पूर्व छात्रों डॉ परशुराम बालासुब्रमण्यम और श्री कृष्णन नारायणन का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने अपना कीमती समय, आर्थिक सहयोग और अपनी प्रतिभा का लाभ दिया और जल प्रबंधन की इस पहल को सफल बनाने में मदद कर रहे हैं। इस पहल का राष्ट्रीय महत्व है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि हम ने एक्वामैप में प्रोफेसरों को सहयोग देने के लिए पूर्व छात्रों के जुड़ने के एक अभूतपूर्व मॉडल की परिकल्पना की है।’’
एक्वामैप के मध्यम/दीर्घावधि मुख्य लाभों की परिकल्पना:
- सहभागिता के माध्यम से जीवन का वास्तविक जल संकट दूर करने की क्षमता का विकास
- एक ऐसा संगठन बनना जो व्यापक प्रभाव और उपायोग वाला समाधान दे
- कम से कम छह गांवों/शहरों में पानी के क्षेत्र में नवाचार के मद्देनजर सफलतापूर्वक प्रायोगिक अध्ययन करना जिन्हें पूरे देश में जल प्रबंधन एवं नीति लागू करने के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जाए।
- ग्रैण्ड चैलेंज़ के माध्यम से पानी की कम से कम तीन जटिल समस्याओं का समाधान ढूंढ़ना और उन्हें पायलट परियोजनाओं में तब्दील करना।
- एक अत्याधुनिक हाइड्रो-इन्फॉर्मेटिक्स विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करना
- पूर्व विद्यार्थी और सामुदायिक जुड़ाव का मजबूत मॉडल बनना
प्रोजेक्ट के बारे में आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र डॉ. परशुराम बालासुब्रमण्यम, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, थीम वर्क एनालिटिक्स ने कहा, “मैं अपने पूर्व संस्थान का आभारी हूं जिसने मुझे राष्ट्रीय महत्व के इस मिशन में योगदान देने का अवसर दिया। भारत में पानी की अधिकतर समस्याओं के समाधान के लिए गहन मंथन और प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता है। हम पानी के क्षेत्र में इनोवेशन के लिए सुनिश्चित गांवों/शहरों से मिली सीख का लाभ ले सकते हैं और पानी के थीम पर आयोजित गै्रंड चैलेंज़ से बहुत कुछ सीख सकते हैं। आशा है एक्वामैप अपने कार्य प्रदर्शन से सफल मॉडल होने का प्रमाण देगा। इसमें समुदाय, उद्योग, शिक्षा जगत और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल सभी का आपसी सहयोग काम करेगा।’’
इस सिलसिले में श्री कृष्णन नारायणन, अध्यक्ष, आईआईटी मद्रास एलुमनी एसोसिएशन (आईआईटीएमएए) के अध्यक्ष ने कहा, “मुझे खुशी है कि मैं भारत में वाटर-स्टार्टअप के निजी अनुभव से एक्वामैप का सपना साकार करने में सहयोग दूंगा। एक पूर्व छात्र होने के नाते मुझे संस्थान को समय का योगदान देने की भी बहुत खुशी है। हम ने इस पहल के केंद्र में पूर्व छात्रों को रखा है इसलिए पानी के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले अन्य पूर्व छात्र एक्वामैप के ‘फेलो, आंटरप्रेन्यर-इन-रेसिडेंस, प्रोजेक्ट ग्रैंड मास्टर या वॉलंटियर बनने का आवेदन कर सकते हैं।’’
प्रो. लिगी फिलिप, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास और डीन (योजना), आईआईटी मद्रास एक्वामैप की प्रधान परीक्षक हैं। उनका सहयोग करेंगे जल संकट पर कार्यरत अन्य 20 फैकल्टी मेंबर और ये विभिन्न विभागों के होंगे जैसे सिविल इंजीनियरिंग, रसायन विज्ञान, केमिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, प्रबंधन और मानविकी और सामाजिक विज्ञान। एक्वामैप का एक शासी निकाय है जिसके अध्यक्ष आईआईटी मद्रास के निदेशक हैं और एक सलाहकार बोर्ड है जिसमें पानी की प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और नीति के क्षेत्र में कार्यरत कई प्रमुख एवं प्रतिष्ठित लोग हैं।
एक्वामैप के कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रोफेसर लिगी फिलिप, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास और डीन (योजना), आईआईटी मद्रास ने कहा, “हम देश का जल संकट दूर करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करना चाहते हैं।“
एक्वामैप आईआईटी मद्रास के अन्य जल अनुसंधान केंद्रों जैसे कि सूत्रम, इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लीन वाटर (आईसीसीडब्ल्यू) – आईआईटी मद्रास और पीसीओई ऑन वाटर एंड सस्टेनेबिलिटी के सहयोग से काम करेगा और इस प्रयास में अन्य भागीदार भी बनाएगा।