पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला जिसके जवाब में भारत ने भी इमरान खान को दिया मुहतोड़ जवाब।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में भाषण के दौरान कश्मीर के मुद्दे पर इमरान ने भारत को घेरने की कोशिश की जिस पर भारत ने ओसामा बिन लादेन का नाम लेकर दुनिया के सामने पाकिस्तान की पोल खोल दी है कि कैसे आतंक का आका आतंकवाद का समर्थन करता रहा है बता दें कि आज सुबह इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को वर्चुअली संबोधित किया और कश्मीर का जिक्र कर कहा कि पाक शांति चाहता है और कश्मीर विवाद के समाधान से ही दक्षिण एशिया में शांति स्थापित होगी।
जिस पर राइट टू रिप्लाई के तहत भारत की तरफ से इमरान खान के भाषण पर जवाब देते हुए भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी स्नेहा दुबे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग थे, हैं और रहेंगे। इसमें वे भी क्षेत्र शामिल हैं जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने के लिए कहते हैं।
इमरान खान ने भारत पर लगाए मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप
इमरान ने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि यहां ‘इस्लामोफोबिया’ का राज है। इमरान ने कहा, ‘RSS-BJP की फैलाई नफरत से भरी हिंदुत्व की विचारधारा ने देश के 20 करोड़ मुस्लिमों के खिलाफ डर और हिंसा का राज कायम कर दिया है।’ इमरान ने आरोप लगाया कि 5 अगस्त, 2019 के बाद से भारत ने जम्मू-कश्मीर में अवैध और एकपक्षीय कदम उठाए हैं और 9 लाख सैनिकों को तैनात कर दहशत का राज फैलाया है।
इमरान ने कहा कि कश्मीर के नेताओं को जेल में डालकर मीडिया और इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को हिंसा से दबा दिया। इतना ही नहीं, पाक PM ने आरोप लगाया कि 13 कश्मीरी युवाओं को गिरफ्तार करके यातनाएं दी जा रही हैं और उन्हें फर्जी एनकाउंटर का शिकार बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यहां सेना मानवाधिकार उल्लंघन करती है और पूरे क्षेत्र में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश की जा रही है। इमरान खान ने आगे कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान पर निर्भर है। शांति स्थापित करने का ठिकरा भारत पर फोड़ते हुए उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान के साथ सार्थक और परिणामोन्मुखी जुड़ाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी भारत पर बनी हुई है।
भारत ने इस तरह दिया मुहतोड़ जवाब
इमरान को उनके भाषण पर भारत की फर्स्ट सेक्रटरी स्नेहा दुबे ने बुरी तरह धो डाला। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी नेता ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ गंदा और गलत प्रॉपगैंडा फैलाने के लिए किया और बेकार में दुनिया का ध्यान अपने देश के बिगड़े हालात से हटाने की कोशिश की है जहां आतंकी आराम से रहते हैं जबकि आम लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों का जीवन दूभर हो गया है
स्नेहा ने कहा कि यहां हर सदस्य यह जानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास और नीति आतंकियों को पनाह, मदद और खुलेआम सपॉर्ट देने की रही है। यह ऐसा देश है जिसके लिए पूरी दुनिया ने माना है कि यहां सरकारी नीति ही आतंकियों को सपॉर्ट, ट्रेनिंग, वित्तीय और हथियारों में मदद देने की रही है। इसका शर्मनाक रेकॉर्ड UNSC में पहचाने गए आतंकियों को पनाह देने का रहा है।स्नेहा ने संयुक्त राष्ट्र के सामने दो टूक सुनाया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पूरे केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग रहे हैं और रहेंगे।
उन्होंने कहा, “इसमें वह हिस्सा भी शामिल है जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले क्षेत्र फौरन खाली करने की मांग करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान समेत सभी पड़ोसियों से सामान्य संबंध चाहता है लेकिन इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के ऊपर है कि वह ऐसा माहौल बनाने के लिए काम करे और कड़े कदम उठाए ताकि उसकी जमीन से भारत के खिलाफ क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद को अंजाम न दिया जाए।
स्नेहा ने याद दिलाया कि कुछ वक्त पहले ही दुनिया ने अमेरिका में 9/11 हमलों की 20वीं बरसी देखी है और दुनिया यह भूली नहीं है कि इस हमले के पीछे मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में पनाह दी गई थी और यहां की सरकार आज उसे शहीद का दर्जा देती है। पाकिस्तान आतंकवाद को सही साबित करने में लगा है। इसे आधुनिक दुनिया में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों को पालता है जिससे उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचता है। उसकी नीतियों की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया ने परेशानियां झेली हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान ने उन लोगों के खिलाफ धार्मिक और सांस्कृतिक नरसंहार छेड़ा जो आज बांग्लादेश है। इस साल उस भयानक त्रासदी के 50 साल पूरे हो गए हैं लेकिन पाकिस्तान ने माना नहीं।