से तो गला सूखना एक ऐसी मामूली समस्या है, जिस पर हम कभी ध्यान नहीं देते , लेकिन अगर हम इस पर गौर करें तो यह कोई आम समस्या नही बल्कि एक बीमारी का संकेत होता है। शरीर के स्पाइनल डिस्क और कार्टिलेज में 80 प्रतिशत पानी होता है। ऐसे में अगर शरीर में पानी की कमी हो जाए तो व्यक्ति की शारीरिक गतिविघियों पर भी बुरा असर पड़ता है और ब्रेन भी सुस्त होने लगता है। खासतौर पर जोड़ों में दर्द की आशंका बढ़ जाती है। अगर किसी को अकसर ऐसी समस्याएं होती हैं तो यह टॉन्सिलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षण हो सकती हैं।
क्या है टॉन्सिलाइटिस
आयुर्वेद में टॉन्सिलाइिन को ‘तुण्डीकेरी शोथ’ कहा गया है। गले में पीछे की ओर टॉन्सिल नामक दो ग्लैंड्स होती हैं, जो की प्रकार के संक्रमण से बचाव का काम करती हैं, लेकिन जब इनमें ही संक्रमण हो जाता है तो उसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है।
इस ग्लैंड में कई बार फंगल इंफेक्शन हो जाता है। इसमें गला सूखने के साथ-साथ निगलने में तकलीफ, गले में दर्द के साथ बलगम, कान में दर्द और बुखार जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
टॉन्सिल्स आकार में 2.5 से.मी. लम्बे, 2 से.मी. चौड़े और 1.2 से.मी. मोटे होते हैं। वैसे तो टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर बचपन में होता है। यह बच्चों में पाया जाने वाला एक सामान्य संक्रमण है। छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था (5-15 साल तक) के बच्चों में अधिक होता है।
टॉन्सिलाइटिस के कारण
1. वायरल इन्फेक्शन (कॉमन कोल्ड) के कारण।
2. रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण।
3. टॉन्सिलाइटिस में होने वाला सबसे सामान्य रोग Streptococcus Pyogenes है।
4. इसके अलावा Staphylococcus Aureus, Mycoplasma Pneumonia है।
5. इन्फ्लुएंजा के कारण टॉन्सिल्स होता है, जिसे फ्लू कहा जाता है।
6. कोरोनावायरस के कारण, इसके दो उपप्रकारों में से एक SARS का कारण भी है।
7. बहुत ज्यादा ठण्डा खाने या पीने (आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक) से।
टॉन्सिल्स के ये लक्षण हो सकते हैंः-
• जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन।
• कान के निचले भाग में भी दर्द रहना।
• गले में तेज दर्द होना तथा कुछ भी निगलने में कठिनाई होना।
• गले में खराश महसूस होना, एवं मुंह से बदबू आना।
• अत्यधिक कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन होना।
• छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, एवं लार टपकाना जैसी समस्याएं।
बचाव
ऐसी स्थिति में दवा लेने के साथ-साथ ठंडी चीज़ों से परहेज और गर्म पानी से गरारे करने की सलाह दी जाती है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
1. एल्कोहॉल और सिगरेट से दूर रहें।
2. नींबू पानी पीएं या सौंफ चबाएं, इससे मुंह में सलाइवा बनने की रफ्तार तेज होती है और गला नहीं सूखता।
3. अपनी डाइट में फलों और हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं, इससे शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रहती है।
4. ओरल हाइजीन का विशेष ध्यान रखें और कोई तकलीफ न हो तो भी साल में एक बार रूटीन डेंटल चेकअप जरूर कराएं।