मोहन भागवत ने यह गाज़ियाबाद में “दि मीटिंग्स ऑफ माइंड्स” नामक बुक की लॉन्चिंग के दौरान कहा कि, यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है। हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं, एकजुट होने के लिए कुछ भी नहीं है, वे पहले से ही एक साथ हैं। उन्होंने अपनी बात फिर दोहराई कि देश में हिंदू-मुस्लिम एकता एक तरह से भ्रामक है क्योंकि ये हिंदू-मुस्लिम अलग-अलग नहीं हैं। वे एक हैं, उनके द्वारा की जाने वाली पूजा के अलग-अलग तरीकों के चलते उनमें अंतर नहीं किया जा सकता है। अलग-अलग धर्म के बाद भी सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है।
मोहन भागवत ने आगे कहा कि, “वोट की राजनीति में हम नहीं पड़ते। राष्ट्र में क्या होना चाहिए, इस बारे में हमारे कुछ विचार हैं। अब एक ताकत बनी है तो वो ठीक हो जाए, इतनी ताकत हम चुनाव में भी लगाते हैं। हम राष्ट्रहित के पक्षधर हैं।” उन्होंने कहा कि, “कुछ काम ऐसे हैं जो राजनीति नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को जोड़ने का हथियार नहीं बन सकती, बल्कि एकता को बिगाड़ने का हथियार बन सकती है।”
उन्होंने कहा कि, अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग दूसरों को मार रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ अपना काम करना चाहिए।