नवनीत कुमार गुप्ता
सीएसआईआर – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान यानी सीएसआईआर-निस्पर द्वारा अपने पहले स्थापना दिवस पर 13 से 14 जनवरी, 2022 को पूसा, नई दिल्ली स्थित भवन में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 13 जनवरी को स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने विज्ञान संचार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी विज्ञान संचार में अहम उपयोगिता निभा रहे हैं।
उन्होंने लाल किले से स्वच्छ भारत, डिजिटल भारत, स्टार्ट अप इकोसिस्टम जैसे विभिन्न अभियानों का ऐलान करके नयी अभियानों का आरंभ किया। हमारा दायित्व है कि हम उनके इन अभियानों को जन-जन तक पहुंचाएं। कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सतत स्टार्ट अप की बात कही। इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे एवं निस्पर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल भी उपस्थित थीं।

सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएसआईआर द्वारा देश के विकास में किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए विज्ञान संचार की उपयोगिता को रेखांकित किया। सीएसआईआर-निस्पर की निदेशक महोदया डॉ. रंजना अग्रवाल ने संस्थान द्वारा विगत एक वर्ष में किए गए कार्यों को लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मंत्री महोदय डॉ. जितेन्द्र सिंह जी ने सीएसआईआर-निस्पर की नयी वेबसाईट और प्रकाशनों का विमोचन किया। डॉ. नरेश कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-निस्पर द्वारा धन्यवाद प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष मोहन गोरे, वैज्ञानिक, सीएसआईआर निस्पर द्वारा किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर- निस्पर के शोधार्थियों द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी।
सीएसआईआर-निस्पर द्वारा अपने स्थापना दिवस पर क्विज प्रतियोगिता सहित अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। पूरा कार्यक्रम कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया गया। 7 से अधिक दशक की अपनी विरासत को सहेजे हुए यह नया संस्थान निस्केयर और निस्टैड्स को मिलाकर पिछले वर्ष अस्तित्व में आया था।
पहले संस्थान का गठन 1951 (पीआईडी के नाम से) में हुआ और दूसरे संस्थान की स्थापना 1980 में हुई थी। 14 जनवरी 2021 को सीएसआईआर के इन दोनों संस्थानों का विलय होकर निस्पर का जन्म हुआ। विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान के अपने मकसद के दो आयामों के साथ यह संस्थान, समाज और देश की सेवा में जुटा हुआ है।