15 जून से आषाढ़ मास की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने की शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है दरअसल, इस तिथि को भगवान विष्णु क्षीरसागर में जाकर शयन करते हैं जिसके कारण इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस तिथि से 4 महीने के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं जिसके कारण इस अवधि को चातुर्मास भी कहते हैं।
कहने का अर्थ है चातुर्मास का प्रारंभ देवशयनी एकादशी से ही शुरू हो जाता है। वही चातुर्मास का समापन कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी को होता है। पंचांग के अनुसार देव शयनी एकादशी 10 जुलाई को इस बार पड़ रही है और इसी तिथि से चातुर्मास का प्रारंभ होगा।
मान्यता है कि इन चातुर्मास के दिनों में कुछ नियमों का पालन किया जाए तो जीवन से सारे दुख कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है। तो आइए इन नियमों के बारे में जानते हैं जिन्हें चातुर्मास के दिनों में पालन करना चाहिए ताकि भगवान विष्णु की कृपा हम सब पर बनी रहे।
चातुर्मास के दिनों में इन नियमों का करें पालन
1. चातुर्मास के दिनों को काफी शुभ माना जाता है।चातुर्मास के दिनों में लोगों को सभी बुराइयों को त्याग कर लोगों की सेवा करनी चाहिए। लोगों को ना किसी की निंदा करना चाहिए और ना ही किसी की निंदा सुननी नहीं चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे काल कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
2. चातुर्मास के दिनों में अगर कोई व्यक्ति केवल दूध और फल का सेवन करता है तो उसके जीवन से सभी पाप नष्ट होते हैं।
3. ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान लोगों को जमीन पर सोना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी को योग निंद्रा में चले जाते हैं और देवोत्थान एकादशी को निंद्रा से उड़ते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति चातुर्मास के दौरान जमीन पर सोते हैं उनके जीवन से गरीबी दूर होती है और उस व्यक्ति के घर में पैसों की कभी कोई कमी नहीं रहती है।
4. चातुर्मास के दिनों में ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए। लोगों को स्नान कर उपवास रखकर दान – पुण्य करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु का ध्यान और जप करना चाहिए। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और जीवन के सभी काल कष्ट दूर हो जाते हैं।