अमूमन बारिश हर किसी को अच्छी लगती है हर किसी को सावन के महीने का इंतजार करता है मगर यही बारिश कुछ लोग खासतौर पर किसानों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बारिश से किसानों की खेती नष्ट होने का खतरा बना होता है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जिससे आप बारिश का आनंद भी उठा सकते है और अपनी फसल भी नुकसान होने से बचा सकते है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह के अनुसार, पारंपरिक रूप से हमारे किसान भाई खेतों में सूखे बीज बोकर उनसे सब्जी-फल पैदा करते हैं, लेकिन यह विधि कम उपयोगी है। अगर इन्हीं फसलों की छोटी उन्नत पौध नर्सरी से लाकर लगायी जाए, तो अच्छी फसल पैदा होती हैं।
ऐसे बचाएं अपनी फसल को नष्ट होने से:
सफेद मक्खी से करें सुरक्षा
इस समय सफेद मक्खी फसलों में वायरस फैलाती है। इससे प्रभावित होने पर पौधे सिकुड़ जाते हैं और फल-फूल का उत्पादन नहीं देते हैं। इससे बचने के लिए रोगर दवा का छिड़काव दो मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए।
हालांकि इसके लिए नेट हाउस या पोली हाउस भी लगाया जा सकता है। नेट हाउस लगाने से सफेद मक्खी खेतों में नहीं पहुंचती है। नेट हाउस लगाने में आये खर्च पर सरकार 50 फीसदी की छूट भी देती है।
फफूंद और विषाणु भी हैं नुकसानदायक
बारिश के समय केवल पानी ही फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, बल्कि फफूंद और विषाणु भी उसे नष्ट कर सकते हैं। इसलिए फसलों को इन नुकसानों से बचाने के लिए भी किसान को सतर्क रहना चाहिए। पौधों को फफूंद से बचाने के लिए ब्लाइटोक्स, रिडोमिल या कार्बेन्डाजीन को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर उन्हें छिड़काव करना चाहिए।
बीज कम अंकुरित होने पर हर्जाने का प्रावधान
अगर आप उन्नत किस्म के बीज खरीद कर लाते हैं, तो उस बीज के खरीद की रसीद और उसका डिब्बा संभालकर रखें। कंपनी हर पैकेट पर इस बात की जानकारी देती है कि उस बीज को रोपने से न्यूनतम कितने फीसदी बीज अंकुरित होंगे। अगर अंकुरण कम होता है, तो किसान को न सिर्फ बीज के पूरे दाम वापस मिलते हैं, बल्कि किसान को फसल के नुकसान की भरपाई भी की जाती है। यह सरकारी प्रावधान सीड एक्ट में शामिल है और कोई भी बीज कंपनी इसे मानने से इनकार नहीं कर सकती है।
बीज के बजाय खेत में पौधे लगाएं
पारंपरिक तौर पर हमारे किसान एक साथ खेतों में बीज रोपते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि खेत को कई हिस्सों में बांट लें और एक-एक हफ्ते के अंतराल पर एक-एक हिस्से में पौध लगायें। इससे फसल तैयार होने पर हर हफ्ते आपके पास बेचने के लिए नई फसल होगी। इससे ज्यादा लंबे समय तक लाभ लिया जा सकता है। जबकि एक साथ पौध तैयार होने पर उसे सीमित समय में बेचने की मजबूरी होती है, जिससे फसल का दाम गिर जाता है और किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिल पाता।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि अगर किसान थोड़ी सावधानी बरतते हुए आधुनिक तरीके से खेती करें, तो वे बारिश से होने वाले इस नुकसान से बच सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को बीज बोने की बजाय, उन्हीं फसलों की नर्सरी में तैयार पौध लगाना ज्यादा कारगर होता है।