कृषि कानून के विरोध में चल रहा किसानों का आंदोलन कब तक चलेगा इसका फिलहाल कुछ पता नहीं. लेकिन कृषि कानूनों के विरोध ने पंजाब में कांग्रेस की राजनीतिक फसल जरूर लहलहा दी है.
भले ही किसानों के मंच से सिधे तौर पे कांग्रेस के नेतागण कृषि कानून का विरोध न कर रहे हो पर बाहर से जिस तरह का सपोर्ट किसान आंदोलन को कांग्रेस द्वारा मिल रहा है वो जगजाहिर है. पंजाब में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस द्वारा गांव से लेकर शहरों में बेहतर प्रदर्शन ये बतलाने के लिए काफी हैं कि इसका असर आगे आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में भी पड़ेगा.
कृषि कानून का विरोध कांग्रेस के लिए पंजाब में ऑक्सीजन की तरह काम कर रहा है और इसमें कोई संदेह नजर नहीं आता. पंजाब में कांग्रेस का कद और बढ़ गया है इसका श्रेय किसान आंदोलन को भी जाता है.

भाजपा और अकाली दल से पंजाब के लोगों की नाराजगी कांग्रेस के लिए बहार लेकर आई है. कांग्रेस चाहती भी यही थी और हुआ भी यही.
कांग्रेस को किसान आंदोलन का पूरा फायदा मिला है. देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस की स्थिती भले ही ठीक न हो पर पंजाब में पार्टी की रफ्तार को अब और गति मिली है. स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए है.
साथ ही राजस्थान के बाद पंजाब से स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की बेहतरीन जीत ने नेतृत्व का उत्साह बढ़ाने के साथ किसानों के मुद्दे पर आगे बढ़ने की राह सुझाई है.