कहते है बच्चो के दूध के दांत टूटना उनके बड़े होने की ओर इशारा करता है और इनके टूटने के बाद ही स्थाई दांत आते है। लेकिन क्या आप जानते है इन दांतो के टूटने की वजह? अगर नही तो हम बताएंगे इसके पीछे का कारण क्या है। बता दें की छोटे बच्चों के कुल 20 दूध के दांत होते हैं, जो अलग-अलग समय पर निकलते हैं।
दूध के दांत टूटने की शुरुआत सबसे पहले निचले जबड़े के बीच के दो दांत यानी लोअर इनसाइजर से होती है फिर ऊपरी जबड़े के बीच दो दात निकलते हैं। इसके बाद धीरे धीरे सभी निकलने शुरू हो जाते है। डेंटल एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब दूध के दांत गिर रहे होते हैं, तो इसके पीछे नए दांत उभरकर सामने आते हैं।
बच्चों के दूध के दांत लगभग 6 से 7 साल की उम्र में टूटने शुरू हो जाते हैं और आखिरी दांत 12 साल की उम्र तक टूट जाता है। दूध के दांत के टूटने के पीछे की वजह नए दांतों का निकलना बताया जाता है। जैसे-जैसे वास्तविक दांत दूध के दांतों की जड़ों से बढ़ते है, वैसे ही दूध के दांत ढीले होने लगते हैं और टूटकर गिर जाते हैं।
हालांकि, हाइपोपिट्यूटेरिज्म की स्थिति की वजह से बच्चों के दूध के दांत गिरने में देरी हो सकती है। हाइपोपिट्यूटेरिज्म की वजह से पिट्यूटरी पर्याप्त ट्रॉफिक हार्मोन विकसित नहीं कर पाती है। इसकी वजह , बच्चों के दूध के दांत देरी से गिरते हैं। पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी दूध के दांत देरी से गिरते हैं। पोषक तत्वों की कमी के कारण नए दांत के उभरने में मुश्किलें होती हैं।