नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय): जैव प्रौद्योगिकी विभाग, सरकार में सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीबीटी की पहली ‘वन हेल्थ’ परियोजना का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में देश के पूर्वोत्तर भाग सहित भारत में एक नस्ल के दूसरी नस्ल को संक्रामित करने वाले जीवाणु संबंधी, वायरल और परजीवी से होने वाले महत्वपूर्ण संक्रमणों की निगरानी करने की परिकल्पना की गई है।
जरूरत पड़ने पर मौजूदा नैदानिक परीक्षणों का उपयोग और अतिरिक्त पद्धतियों का विकास निगरानी और उभरती बीमारियों के प्रसार को समझने के लिए अनिवार्य है।
डॉ. रेणु स्वरूप ने कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान अपने संबोधन में टिप्पणी की कि डीबीटी-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनीमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद की अगुवाई में 27 संगठनों से युक्त यह सहायता संघ कोविड-19 के बाद भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। वन हेल्थ सहायता संघ में एम्स, दिल्ली, एम्स जोधपुर, आईवीआरआई, बरेली, जीएडीवीएएसयू, लुधियाना, टीएएनयूवीएएस, चेन्नई, एमएएफएसयू, नागपुर, असम कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय और आईसीएआर, आईसीएमआर के अनेक केन्द्र और वन्य जीव एजेंसियां शामिल हैं।
डीबीटी सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने इसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “एक स्वास्थ्य के महत्व” पर एक अंतर्राष्ट्रीय मिनी-संगोष्ठी का उद्घाटन किया। डॉ. स्वरूप ने अपने उद्घाटन भाषण में भविष्य की महामारियों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मानव, जानवरों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य को समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं ने ‘एक स्वास्थ्य’ की अवधारणा को शुरू करने और उसे विकसित करने पर अपने विचार साझा किए, जहां सभी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मनुष्य, पशु, पौधों और पर्यावरण को एक दूसरे के लिए पूरक माना जाना चाहिए।