उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद में जन्में रिटायर्ड कर्नल सुभाष चंद्र देसवाल जिन्हे आज सभी गाजर मैन के नाम से जानते है। बात करें कर्नल देसवाल को गाजर मैन के नाम से पुकारने की तो आपको बात दें की कर्नल देसवाल ने 18 साल पहले गाजर की खेती करना शुरु किया था। कर्नल देसवाल उर्फ गाजर मैन ने फसल के लिए गाजर को तो चुना ही लेकिन उन्होने पारंपरिक की जगह इंग्लिश गाजर की खेती करना शुरू किया। पहले इंग्लिश गाजर खासतौर पर दक्षिण के राज्यों में हुआ करती थी, लेकिन कर्नल देसवाल के प्रयासों का ही नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक यह गाजर लोकप्रिय हो गई है। अब ज्यादातर किसान कर्नल देसवाल की तरह की इंग्लिश गाजर की खेती करने लगे हैं। सभी को इससे अच्छी कमाई हो रही है और जीवन का स्तर सुधर गया है। गाजर की खेती की दिशा में देसवाल के योगदान के कारण ही उन्हें गाजर मैन भी कहा जाता है।
दरअसल, कर्नल देसवाल का मानना हैं कि किसानों को हर समय सरकार की तरफ नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि किसान खुद में इतने सक्षम है कि वे किसी मदद के बगैर ही अच्छी स्थिति में जा सकते हैं। डीडी किसान से बातचीत में अपना उदाहरण देते हुए कर्नल देसवाल कहते हैं कि मैंने शुरू में सरकार से कोई मदद नहीं ली। लेकिन एक बार सफल होने के बाद मैंने जब मदद मांगी तो सरकार की तरफ से पूरा सहयोग और योगदान मिला। कर्नल देसवाल ने आगे कहा, ” पहले इस किस्म की गाजर की खेती सिर्फ देश के दक्षिणी राज्यों में होती थी, लेकिन अब सिकंदराबाद गाजर कैपिटल बन गया है। यहां से पूरे देश में गाजर सप्लाई हो रही है।”
कर्नल देसवाल का मानना है कि, अगर मेहनत और लगन से खेती का काम किया जाए तो युवा भी इसमें रोजगार मुहैया करा सकते हैं और पैसा के साथ ही सम्मान भी पा सकते हैं। अगर युवा खेती को उद्योग समझकर काम करें तो सम्मान और पैसा के साथ ही संतुष्टि भी मिलेगी।