हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वीरभद्र सिंह ने 87 साल की उम्र में शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में सुबह 3.40 बजे अंतिम सांस ली। सांस लेने में दिक्कत के बाद हुए थे अस्पताल में भर्ती। बता दें की वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) को 30 अप्रैल को शिमला के आईजीएमसी में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इन तीन दिनों के दौरान प्रदेश में कोई भी बड़े आयोजन नहीं होंगे। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक स्थान रामपुर में होने की संभावना है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि उनके निधन से कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है।
वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद प्रियंका गांधी ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि, ” राजनीति में विशालकाय पर्वतों सा कद रखने वाले व देवभूमि हिमाचल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के निधन से हम सबको एक अपूर्णीय क्षति हुई है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि।”
सिंह को लोकप्रिय रूप से ‘राजा साब’ के रूप में जाना जाता था। वह बुशहर की तत्कालीन रियासत में पैदा हुए थे।
वीरभद्र सिंह 50 से अधिक वर्षों से सक्रिय राजनीति में थे। अपने हर चुनाव में चाहे वह विधानसभा हो या संसदीय, वीरभद्र सिंह ने अकेले ही प्रचार किया और हर दिन 15 से 20 बैठकें कीं। वह नौ बार विधायक और पांच बार सांसद रहे।
वीरभद्र सिंह का करियर
वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) की राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है और वह 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। वीरभद्र सिंह साल 1983 से 1990, 1993 से 1998, 1998 से 2003, 2003 से 2007 और 2012 से 2017 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा यूपीए सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रह चुके थे। साल 1962 में पहली बार लोक सभा के लिए चुने गए वीरभद्र सिंह 5 बार संसद के सदस्य रहे थे। वह 9 बार विधान सभा के लिए भी चुने गए थे।