न्यायपालिका में महिलाओं की घटती भागीदारी पर CJI रमना ने जाहिर की चिंता, कहा- आरक्षण की माँग करना महिलाओं का अधिकार

भारत के मुख्य न्यायधीश एनवी रमना (NV Ramana) ने सोमवार को न्यायपालिका में महिलाओं की घटती भागीदारी पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए महिलाओं को न्यायपालिका में उनके लिए 50 फीसदी आरक्षण की माँग करने के लिए प्रोत्साहित किया। न्यायधीश एनवी रमना ने कहा "महिला आरक्षण की माँग करना उनका अधिकार है और फिलहाल महिलाओं के पास खोने के लिए कुछ नहीं है।"

बता दें उच्च न्यायालय (high Court) में केवल 11 प्रतिशत महिला न्यायाधीश हैं। निचली न्यायपालिका (lower judiciary) में यह संख्या 30 के दशक में है और सर्वोच्च न्यायालय में 33 में से केवल 4 न्यायाधीश महिलाएँ हैं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, 

"दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ! इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। लोग उन कठिनाइयों का हवाला देंगे, जिनका सामना महिलाओं को पूरी तरह से प्रतिनिधित्व करने के लिए करना पड़ता है। यह सही नहीं है। मैं सहमत हूँ कि क्लाइंट की पसंद है, लेकिन असहज माहौल और बुनियादी ढाँचे की कमी कानूनी पेशे में महिलाओं के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं। 60,000 न्यायालयों में, 22 फीसदी में शौचालय तक नहीं है, जिसके कारण महिला अधिकारी भी पीड़ित हैं।"

उन्होंने और अधिक महिलाओं के न्यायपालिका में शामिल होने की आशा व्यक्त की ताकि 50% प्रतिनिधित्व जल्द ही मिल सके। इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा था कि आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी महिलाओं की भागीदारी केवल 11 फीसदी पर सिमटी हुई है, जबकि इसे 50 फीसदी होना चाहिए था। 

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