सिक्के बनाकर तैयार करने वाली ब्रिटेन की सरकारी फर्म रॉयल मिंट ने ई-वेस्ट को कम करने के लिए एक पहल शुरू की है। जिसमे उन्होंने कबाड़ हो चुके स्मार्टफोंस और लैपटॉप को रिसायकल करके इनमें से सोना, चांदी और कई तरह की बहुमूल्य धातुएं अलग करने का काम शुरू कर दिया है। रॉयल मिंट के चीफ एग्जीक्यूटिव एनी जेसोप का कहना है, यह बड़ी उपलब्धि है। भविष्य में यूके बेशकीमती धातुओं का सेंटर साबित हो सकता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने का काम करेगा।
ब्रिटेन की यह कंपनी अब कनाडा की फर्म एक्सिर के साथ मिलकर स्मार्टफोन और लैपटॉप को रिसायकल करके तैयार करेगी। इस तकनीक के माध्यम से ई-वेस्ट में से 99 फीसदी तक मेटल अलग किया जा सकता है। इसका हाल मे ही साउथ वेल्स में एक ट्रायल किया है। ट्रायल के दौरान तकनीक के जरिए रूम टेम्प्रेचर पर ही बेशकीमती धातुओं को अलग किया। इस दौरान जो सोना अलग किया गया है वह 99.9 फीसदी तक शुद्ध है। इसके अलावा चांदी, पैलेडियम और तांबा भी अलग किया जा सकेगा।
जानिए क्या होता है ई-वेस्ट
हम अपने घरों और उद्योगों में जिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वहीं बेकार फेंका हुआ कचरा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (ई-वेस्ट) कहलाता है। इनसे समस्या तब उत्पन्न होती है जब इस कचरे का उचित तरीके से कलेक्शन नहीं किया जाता। साथ ही इनके गैर-वैज्ञानिक तरीके से निपटान किए जाने की वजह से पानी, मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे हैं। जो स्वास्थ्य के लिए भी समस्या बनते जा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में करीब 5.36 करोड़ मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न हुआ था जोकि 2030 में बढ़कर 7.4 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच जाएगा। 2019 में अकेले एशिया में सबसे ज्यादा 2.49 करोड़ टन कचरा उत्पन्न हुआ था। इसके बाद अमेरिका में 1.31 करोड़ टन, यूरोप में 1.2 करोड़ टन, अफ्रीका में 29 लाख टन और ओशिनिया में 7 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट उत्पन्न हुआ था।अनुमान है कि केवल 16 वर्षों में यह ई-वेस्ट लगभग दोगुना हो जाएगा।