देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को “अखिल भारतीय किसान महासंघ” (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने एक पत्र लिखकर खरपतवार नाशी खरीदने वाले किसानों के खिलाफ कार्यवाहियां रोकने की मांग की है। मामला यह है कि सरकार ने हाल में ‘ग्लाइफोसेट’ नामक खरपतवार नाशक उत्पाद की बिक्री केवल पीसीओ/एफपीओ के माध्यम द्वारा किया जाना तय किया है। आईफा ने कहा है कि जिस तरह बिना पर्याप्त तैयारी और बिना पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था के नोटबंदी लागू की गई और राष्ट्रहित के नाम पर पूरे देश को उसकी कठोर सजा भुगतनी पड़ी, उसी तर्ज पर बिना पर्याप्त संख्या में सक्षम एफपीओ एवं पीसीओ (पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स) की व्यवस्था किए बिना ही, और इस उत्पाद का कोई समकक्ष प्रभावी एवं सुरक्षित विकल्प किसानों को मुहैया कराए बिना ही इसे लागू भी कर दिया गया है ।
आईफा का कहना है कि यहां चिंता का विषय यह है कि इससे अगली फसल की तैयारी में लगे देश के बहुसंख्य किसानों को कई तात्कालिक परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। इसे खरीदने वाले किसानों को कई तरह से प्रताड़ित भी किया जा रहा है, यह बेहद गंभीर बात है। बता दे कि पिछले सप्ताह “अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)” के किसान संगठनों की समन्वय समिति में इस मामले पर चर्चा हुई और सरकार की इस कार्रवाई को उचित नहीं पाया गया। इस संदर्भ में आइफा को ऐसा प्रतीत होता है कि शायद सरकार ने कुछ खास लोगों, संस्थाओं, कंपनियों को उपकृत व लाभान्वित करने की दृष्टिकोण से यह नीति लागू की है। महासंघ ने कहा है कि सरकार भली-भांति जानती है की ग्लाइफोसेट एक ऐसा मुख्य खरपतवार नासी है जिसका देश के किसान बड़ी मात्रा में पिछले कुछ वर्षों से लगातार प्रयोग कर रहे हैं।
इससे खेती के अनावश्यक खरपतवारों निकालने में लगने वाले श्रम लागत तथा समय दोनों की उन्हें बचत होती है। महासंघ का मानना है कि जब तक सरकार किसानों के लिए इस उत्पाद का अन्य कोई समकक्ष प्रभावी तथा ज्यादा सुरक्षित विकल्प नहीं तलाश लेती, तब तक सरकार उत्पाद की जरुरी व नियंत्रित बिक्री को पूर्ववत पद्धति से ही जारी रख सकती है I