Ahoi Ashtami 2021: जानिए कब है अहोई अष्टमी, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कृष्णपक्ष की अष्टमी को बनाया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर 2021 को है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करने से माता अहोई संतानों को लंबी उम्र का वरदान देती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।

इसके साथ ही जिन लोगो की संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है। जिनकी संतान दीर्घायु नहीं होती हो या गर्भ में ही नष्ट हो जाती हो, उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है। सामान्यतः इस दिन विशेष प्रयोग करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है। ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है।

अहोई अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त:  

मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक गुरु पुष्य अमृत योग में अभिजित मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ है। यह समय क्रय-विक्रय के लिए बहुत अच्छा है। इसके पश्चात 15:34 से 17:00 बजे तक मीन लग्न है। यह भी बहुत शुभ मुहूर्त है। शाम 17:39 बजे से 18:56 बजे तक मेष लग्न अहोई अष्टमी के पूजन के लिए अच्छा है। सबसे उत्तम श्रेष्ठ स्थिर लग्न (वृषभ लग्न) 18:03 बजे से 20:30 बजे तक रहेगा।

इस अवधि में माताएं तारा देखकर अपने व्रत का समापन करती है क्योंकि यह समय स्थिर लग्न (वृषभ लग्न ) प्रदोष काल एवं गोधूलि बेला का है अतः इस समय में जो भी कार्य किया जाएगा वह सफल ही होगा। स्थिर लग्न में अपने घर से संबंधित सामान, ज्वेलरी, कपड़े, वाहन, मकान आदि खरीदना बहुत ही धनवर्धक, कल्याणकारी और उत्तम रहेगा।

शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:39 PM से 06:56 PM

अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट

तारों को देखने के लिए सांझ का समय – 06:03 PM से 20:30 PM

अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 PM

पूजन विधि 

माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें। अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखें। रोली चावल से माता की पूजा करें। माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं।

कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें। इसके उपरान्त तारों की छांव में अहोई माता से संतान प्राप्ति की कामना करनी चाहिए। मान्यता है कि इससे जल्दी ही आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने सास को देकर उनका आशीर्वाद लें। इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।

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