नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय): वैज्ञानिकों ने खाद्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के उद्योगों में प्रयुक्त सामग्री के प्रसंस्करण के दौरान तरल पदार्थ की चिपचिपाहट और लोचनी में सामंजस्य स्थापित करके चॉकलेट, लोशन, चटनी (सॉस) जैसे तरल पदार्थों के प्रवाह में सुधार करने के लिए एक नई विधि खोजी है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, रमन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि विस्थापित करने वाले द्रव की चिपचिपाहट और विस्थापित होने वाले द्रव की सांद्रता पर निर्भर लोच में परिवर्तन करने से ऐसी अस्थिरता को कम किया जा सकता है और परस्पर सम्पर्क के दौरान सम्मिश्रित होने की स्थूलता (रफ्नेस) और विस्थापन की क्षमता को नियंत्रित किया जा सकता है।
इस अध्ययन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विज्ञान और इंजीनियरी विकास बोर्ड (एसईआरबी) भारत और रमन अनुसंधान केंद्र (रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में मकई से प्राप्त स्टार्च के जलीय निलंबन (अर्थात एक गैर-न्यूटोनियन विस्कोलेस्टिक तरल पदार्थ) और ग्लिसरॉल- एवं पानी के मिश्रण का उपयोग किया।
प्रयोगों के पहले भाग में, ग्लिसरॉल पानी के मिश्रण की चिपचिपाहट को बदलकर दो तरल पदार्थों के बीच चिपचिपाहट के अनुपात को बदल दिया गया था। इस मामले में मकई स्टार्च निलंबन की चिपचिपाहट स्थिर थी जबकि ग्लिसरॉल और पानी के मिश्रण की चिपचिपाहट ग्लिसरॉल-पानी के मिश्रण में ग्लिसरॉल के अनुपात को बदलकर भिन्न हो गई थी।
प्रयोगों के दूसरे भाग जिसमे मकई स्टार्च निलंबन की लोच के प्रभाव की जांच की जाती है, चिपचिपेपन के अनुपात को स्थिर रखा गया था। मकई स्टार्च निलंबन की लोच को बदल दिया गया जिससे इसकी सांद्रता बदल गई, जबकि ग्लिसरॉल-पानी के मिश्रण की विभिन्न सांद्रता को चुनकर तरल पदार्थों के बीच चिपचिपाहट अनुपात को स्थिर रखा गया। यह शोध जर्नल ‘कोलाइड्स एंड सर्फेस ए’ में प्रकाशित हुआ है ।