नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय): शोधकर्ताओं का दावा है की कभी-कभी कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के बिना सौर चमक दिखाई देती है जो सूर्य की सतह पर चुंबकीय क्षेत्र की बदलती हुई संरचना है। वैज्ञानिकों ने इस खगोलिय घटना का अध्ययन किया था जो सूर्य की चुंबकीय और कोरोनल छवियों पर आधारित था। ये छवियों नासा की अंतरिक्ष में सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी द्वारा हर 12 मिनट में ली गई थी।
यह पता चला कि एआर ने पहले 2.5 दिनों में सकारात्मक हेलीसिटी को इंजेक्ट किया और उसके बाद नकारात्मक हेलीसिटी को। अध्ययन से यह भी पता चला है कि ऐसे सक्रिय क्षेत्र जहां समय के साथ हेलीसिटी के संकेत बदल जाते हैं, वहां कोरोनल मास इजेक्शन उत्पन्न नहीं कर सकता। यह परिणाम मंथली नोटिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. वेमारेड्डी ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से चुंबकीय संरचना ने जो हमने आंकड़ों से प्राप्त की है, सक्रिय क्षेत्र के मूल में कोई बदला नहीं दिखाया है। आईआईए टीम के अनुसार किसी सक्रिय क्षेत्र की विस्फोट क्षमता की भविष्यवाणी करने के लिए हेलीसिटी को किस प्रकार इंजेक्ट किया जाता है, इसका अध्ययन महत्वपूर्ण है और इसके परिणामों से तारों और ग्रहों में चुंबकीय क्षेत्र के उत्पादन पर प्रकाश डाले जाने की उम्मीद है।