महिलाओं की एक ऐसी बीमारी, जो कभी ठीक नहीं होती

आज की इस भागती दौड़ती दुनियां में सब पैसा, शौहरत तो कमा रहे हैं लेकिन इसी के साथ-साथ हम अपने स्वास्थ्य को भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। हमारे खान-पान में नियमों के न होने से हम अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसकी वजह से हर रोज़ नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं।
मासिक माहवारी के कारण वैसे ही महिलाओं में खून की कमी, अनियमितता व अन्य तरह की बीमारियां बनी रहती हैं, लेकिन ये सारी बीमारियां समय के साथ व खान-पान समय पर करने से ठीक हो सकती हैं। पर एक बीमारी ऐसी है जो अगर किसी महिला को एक बार हो जाती है, तो फिर वो दोबारा ठीक नहीं होती। तो आईए जानते हैं एक ऐसी बीमारी के बारा में जिससे महिलाएं कभी उभर नहीं पाती।
पी.सी.ओ.डी (PCOD)
पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) एक ऐसी बीमारी है जिसमें महिलाओं के अंडों में गांठ पड़ने लगती है और उन महिलाओं को अनियमितता की शिकायत जैसी अन्य शिकायतें रहती हैं। ये शिकायत हर 10 में से 1 महिला को होती है, यानी की यह काफी आम बीमारी है जो लगभग आपके आसपास रहने वाली कई औरतों को होता है। डॅाक्टर्स के अनुसार यह बीमारी कभी ठीक नहीं होती, बस कंट्रोल की जा सकती है। इसी के साथ-साथ पीसीओएस (PCOS) नाम की बिल्कुल मिलती-जुलती बीमारी है। ये दोनों बीमारी के लक्षण मिलते जुलते है।
पीसीओडी की समस्या होने पर ना तो महिलाओं को पीरियड्स ही ठीक से हो पाते हैं और ना ही उन्हें प्रेग्नेंसी हो पाती है। इसलिए इस समस्या के कारण महिलाएं शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से परेशान रहती हैं।

पीसीओडी (PCOD) के लक्षणः
-अनियमितता-बालों का झड़ना-चहरे, छाती व पेट पर बाल-पतला होना-माहवारी के समय ज्यादा दर्द होना या ब्लीडिंग

महिलाओं में पीसीओडी (PCOD) या पीसीओएस (PCOS) की शिकायत तब होती है जब उनका खान-पान सही समय पर नहीं होता। उनका शरीर कनफ्यूज़ हो जाता है और हार्मोन्ज में गड़बड़ी हो जाती है। तब ऐंड्रोजेन (Androgen) हार्मोन शरीर में ज्यादा इंसुलिन (Insulin) बनाता है, जिससे मेल हार्मोन्स (Testosterone) की बढ़ोत्तरी हो जाती है। इसी वजह से ये सारी दिक्कतें रहती हैं।

क्यों होती है पीसीओडी की समस्या?

हालांकि इस बीमारी की मुख्य वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं। क्योंकि इनसे महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर गड़बड़ा जाता है। वहीं, वंशानुगत रूप से भी यह समस्या होती है।

शरीर पर पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) का असर:

– पीसीओडी की समस्या होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में तो दिक्कत आती है।
– साथ ही वे हॉर्मोनल इंबैलंस के कारण भावनात्मक रूप से बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करती हैं।
– इस बीमारी में वेट तेजी से बढ़ने लगता है जबकि कुछ महिलाओं को हर समय कमजोरी की शिकायत रहती है।
– पीरियड्स में किसी को कम ब्लीडिंग होती है तो किसी को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है।

इस बीमारी को खत्म नहीं किया जा सकता पर कंट्रोल जरूर कर सकते है, अपनी आदतें बदल कर।
– जो महिलाएं पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं, उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इन्हें घर का बना शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। जितना अधिक हो सके प्रॉसेस्ड फूड से दूर रहें।
– फाइबर बेस्ड डायट लें। इसके लिए अपने खाने में सब्जियां, दालें, दलिया आदि शामिल करें।
– कोशिश करें कि आपका भोजन कम से कम तेल में बना हो। ऑइली फूड आपको नुकसान दे सकता है।
– चाय-कॉफी के जरिए कैफीन लेना बंद कर दें। ऐसा संभव ना हो तो दिन में केवल एक या दो बार ही इनका उपयोग करें। एल्कोहॉल और शुगर की मात्रा को भी बहुत सीमित कर दें।

– जंक फूड से दूरी बना लें। इसकी जगह अपनी डायट में ड्राई फ्रूट्स, नट्स, दूध, दही, छाछ, फ्रूट्स और फिश जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें।

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