जानिए सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है फांसी, क्या है इसके पीछे की असल वजह

किसी अपराधी को फांसी दी जाती है, तो उसका समय 4-5 के बीच निर्धारित किया जाता है. आपने इस बात पर जरूर ध्यान दिया होगा कि फांसी की सज़ा हमेशा सुबह ही दी जाती है. लेकिन आप जानते हैं ऐसा क्यों है? आखिर किन कारणों की वजह से फांसी की सजा देश में भोर में होती है.

ये सवाल अक्सर पूछा जाता रहा है कि भारत में फांसी लंबे समय से सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है. दरअसल, अंग्रेजों शासन में भी अपराधी को फांसी की सजा सुबह सूर्योदय से पहले ही दी जाती थी.
आपको बता दें कि केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपराधी को फांसी सुबह सूर्योदय से पहले ही दी जाती है. हालांकि हर मौसम के हिसाब से फांसी का समय सुबह बदल जाता है लेकिन ये समय भी तय करने का काम केंद्र और राज्य सरकारें ही करती हैं. फांसी को सुबह तड़के शांत बेला में देने की तीन वजहें भी हैं, जो प्रशासनिक, व्यावहारिक और सामाजिक पहलुओं से जुड़ी हैं.

आमतौर पर फांसी एक खास घटनाक्रम होता है. अगर अपराधी को दिन में फांसी दी जाएगी तो सबका ध्यान उसी पर रहेगा. इससे बचने की कोशिश की जाती है ताकि जेल की दिनभर की अन्य गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़े. सारी गतिविधियां सुचारू तौर पर काम करती रहें.

यह भी माना जाता है कि जिस अपराधी को फांसी दी जाती है, उसका मन सुबह के समय में ज्यादा शांत रहता है. सुबह सुबह अपराधी शारीरिक तनाव और दबाव का शिकार नहीं होता.

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