खांसने की वजह से बस्ती के लोगों पर पानी लेने पर लगा प्रतिबंध, नाली का पानी पीने पर मजबूर हुए लोग

कोरोना ने लोगों के अंदर इतना भय पैदा कर दिया है कि अब लोग संवेदनहीन होते जा रहे है उनकी भीतरी भावनाएं भी खोखली होती जा रही है। ऐसी ही एक खबर झारखंड के रामगढ़ जिले से सामने आई है। जहां पर लोगों को कोरोना के साथ पानी न मिलने की दोहरी मार झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पूरा मामला रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के मल्हार बस्ती का है यहां करीब 45 परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी करीब 300 सौ के आसपास है। वन भूमि होने के कारण मल्हार बस्ती में सरकारी योजना के तहत लगने वाले चापानल और कुएं का निर्माण अभी तक नहीं हो सका है। जिसकी वजह से यहां के लोग पानी की एक एक बूंद के मोहताज है। पानी की किल्लत को ध्यान में रखकर ये लोग छोटे से गड्डे को खोदकर गंदा पानी पीकर किसी तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, कुंदरिया बस्ती के लोग चापानल और कुएं से पानी पिया करते थे मगर जब उन्होंने मल्हार बस्ती के किसी व्यक्ति को कुंए से पानी भरते समय खांसते हुए देखा तो उन्होंने इसे कोरोना वायरस का लक्षण मान लिया और अब मल्हार बस्ती के लोगों पर चापानल और कुएं से पानी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया।
वहीं इस पर मल्हार बस्ती के लोगों का कहना है कि उनकी बस्ती में किसी को भी कोरोना नहीं हुआ है। टेस्ट करवाने के बाद हम लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अभी तक इस बस्ती में किसी को कोरोना नहीं हुआ है।

कुंदरिया बस्ती के चापानल और कुएं के पानी पर प्रतिबंध लगाने के बाद मल्हार बस्ती के लोगों के सामने पानी का गहरा संकट खड़ा हो गया है। आनन फानन में इन लोगों ने एक गड्ढा खोद डाला और उसमें से गंदा पानी लेकर अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं मल्हार बस्ती के लोगों का कहना है कि हम सब चुनाव के दौरान वोट डालते हैं।लेकिन कोई भी हमारी मदद नहीं करता है। यहां कोई भी सरकारी सुविधा नहीं हैं। हमारे पास सिर्फ राशन कार्ड है इसके अलावा कुछ भी नहीं।

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